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गडकरी ने की टनल में फंसे मजदूरों को सुरक्षित निकालने के कार्यों की समीक्षा

सिलक्यारा/उत्तरकाशी : केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन जयराम गडकरी ने रविवार को उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद की सिलक्यारा सुरंग का स्थलीय निरीक्षण कर सुरंग में फंसे श्रमिकों को निकालने के चलाए जा रहे रेस्क्यू अभियान की समीक्षा की।श्री गडकरी ने इस दौरान कहा कि देश व दुनिया में उपलब्ध श्रेष्ठतम विशेषज्ञों का लाभ उठाकर सुरंग में फंसे लोगोें को निकालने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने रेस्क्यू अभियान में जुटे संगठनों और अधिकारियों को अधिकतम तैयारी और आवश्यक संसाधनों का समय रहते मुकम्मल इंतजाम करने की हिदायत देते हुए कहा कि रेस्क्यू के हर विकल्प पर उच्च क्षमता व तत्परता के साथ काम किया जाय।

श्री गडकरी ने राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ सिलक्यारा का दौरा कर सुरंग के भीतर जाकर घटनास्थल का जायजा लिया और सुरंग परियोजना व रेस्क्यू अभियान में जुटे लोगों से इस हादसे व बचाव अभियान के बारे में जानकारी ली। उन्होंने सुरंग में फंसे श्रमिकों के परिजनों से भी मुलाकात की और भरोसा दिलाया कि सरकार पूरी ताकत और शिद्दत से रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी है। रेस्क्यू अभियान में शुरूआती दौर में आई कठिनाईयों को देखते हुए अब हर संभव विकल्पों पर एक साथ काम शुरू कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि श्रमिकों की जान बचाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है, किसी भी बेहतर संभावना वाले विकल्प के लिए कोई भी कीमत चुकानी पड़े सरकार चुकाएगी।सर्वश्री गडकरी एवं धामी ने परिजनों का आश्वस्त किया कि केन्द्र और राज्य सरकार श्रमिकोें को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए कोई भी कसर बाकी नहीं रहने देगी।

श्री गडकरी ने रेस्क्यू में जुटे संगठनों व प्रशासन के अधिकारियों की बैठक लेकर रेस्क्यू अभियान की समीक्षा कर नए विकल्पों और संभावनाओं के बारे में भी विस्तार से विचार-विमर्श किया। उन्होंने कहा कि देश के साथ ही दुनियाभर में इस रेस्क्यू के लिए उपलब्ध उच्चतम दक्षता, अनुभव और संसाधनों का ब्यौरा तत्काल जुटाकर इस अभूतपूर्व चुनौती से निपटने के लिए जो भी उपयोगी समाधान नजर आए, उस पर फौरन अमल किया जाय। उन्होंने कहा कि श्रमिकों की जान सबसे कीमती है और इस बचाने के लिए युद्धस्तर पर दिनरात चतुर्दिक प्रयास किए जांय।बैठक में जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ ही सेना, आरवीएनएल, एसजेवीएनएल, ओएनजीसी, बीआरओ, टीएचडीसी सहित विभिन्न संगठनों के अधिकारियों ने भाग लिया।श्री गडकरी ने इस दौरान, पत्रकारों से कहा कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सचिव अनुराग जैन इस अभियान को लेकर सभी संगठनों से समन्वय करने के साथ ही संसाधनों को जुटाने व स्थल तक पहॅुचाने में मदद करेंगे।

इस दौरान, उत्तराखंड के मुख्य सचिव डा. एस.एस. संधू, आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव डा. रंजीत सिन्हा, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अपर सचिव महमूद अहमद, पीएमओ के उप सचिव मंगेश घिल्डियाल, प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार व उत्तराखंड सरकार के विशेष कार्याधिकारी भास्कर खुल्बे, विधायक यमुनोत्री संजय डोभाल, विधायक गंगोत्री सुरेश चौहान, विधायक पुरोला दुर्गेश्वर लाल, जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला, पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी, कर्नल दीपक पाटिल, मुख्य विकास अधिकारी गौरव कुमार, एनएचआईडीसीएनल के निदेशक अंशु मनीष खलखो, अधिशासी निदेशक संदीप सुधेरा सहित विभिन्न विभागों व संगठनों के अधिकारी मौजूद थे।

सरकार को पूरा भरोसा, सिल्कयारा सुरंग में फंसे मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया जाएगा

केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में उत्तरकाशी के सिल्कयारा सुरंग में फंसे मजदूरों के परिजनों को रविवार को भरोसा दिलाया खान में फंसे व्यक्तियों के बहुमूल्य जीवन को बचाने के काम में सफलता अवश्य मिलेगी।सड़क परिवहन एवं राज मार्ग मंत्रालय के सचिव अनुराग जैन ने एक वीडियो संदेश में सुरंग की स्थिति और मजदूरों को बढ़ाने से लेकर उन्हें भोजन पानी पहुंचाने तक के लिए किया जा रहे प्रयासों की अद्यतन जानकारी देते हुए कहा “इस काम में समय लग सकता है पर काम अवश्य होगा।

”उन्होंने रेखाचित्र के जरिए स्थिति को समझाते हुए कहा कि 4.8 किलोमीटर लंबी सुरंग में ढाई किलोमीटर का एक हिस्सा पूरी तरह से बन चुका है और मजबूत है जहां बिजली और पानी की भी व्यवस्था है मजदूर इसी हिस्से में फंसे हैं उन्हें चार इंच के पाइप से चना मुरमुरा आदि खाने पीने की चीजों के साथ विटामिन की गोलियां आदि भी पहुंचाई जा रही हैं वहां उनका खाना पहुंचाने के लिए आरवीएनएल छह इंच का एक और सुरंग बनाने के काम पर लग गया है। श्री जैन ने कहा कि श्रमिकों के बहुमूल्य जीवन को सुरक्षित बचाने के लिए ओएनजीसी और भारतीय सेना सहित विभिन्न एजेंसियों ने पांच जगहों के लिए तय विकल्पों पर एक साथ काम शुरू कर दिया है।उन्होंने कहा कि श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए सुरंग के दो किलोमीटर के निर्मित खंड के ऊपर, एक ऊंची जगह से ओएनजीसी को गहराई में ड्रिलिंग करने की जिम्मेदारी दी गई है। उस जगह ऊंचाई ज्यादा, है और ज्यादा गहराई में ड्रिलिंग करने की क्षमता ओएनजीसी के पास है।

श्री जैन ने बताया , “ओएनजीसी के भूगर्भ वैज्ञानिक अध्ययन कर वहां रहे हैं और वह मशीन आदि की पहचान कर वहां विमान से मशीनें ले आएंगे।”उन्होंने कहा कि दूसरी एजेंसी एसजेवीएनएल को एक जगह से छह इंच व्यास की ड्रिलिंग के लिए कहा गया है। उनके पास करीब 100 मीटर गहराई तक बोर करने की क्षमता है। उन्होंने इससे पहले भी इस तरह के काफी बचाव कार्य किए हैं। उन्होंने कहा कि चार इंच की पाइप लाइन है, जिसका प्रबंध आरवीएनएल कर रही है। वहीं छह इंच की पाइपलाइन का काम इसलिए शुरू किया जा रहा है ताकि फंसे मजदूर के लिए भोजन पहुंचाने का बेहतर प्रबंध किया जा सके। इसके लिए स्थानीय स्तर पर मशीन उपलब्ध है। उन्हें ने बताया कि काम शुरू कर दिया गया है।श्री जैन ने कहा कि सुरंग के बाएं छोर (सिल्कियारा छोर) से क्षैतिज ड्रिलिंग का एक काम आरवीएनएल को दिया गया है और वह इस लाइव सपोर्ट का काम भी कर रहे हैं। आरवीएनएलव 170 मीटर दूर से एक माइक्रो टनलिंग मशीन के माध्यम से श्रमिक श्रमिकों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, “सुरंग के बाएं हिस्से में 80 मीटर निर्मित हिस्से के बाद से 300 मीटर तक का एक असुरक्षित भाग है जिसके गिरने का खतरा है। उसके बारे में हमने इंजीनियर टीम से बात कर तय किया कि वहां एक छतरी बनाई जाए और उसे सुरक्षित किया जाए यह काम सेना के इंजीनियरों की टीम को दिया गया है। सेना की टीम वहां पहुंच गई है और फ्री-कास्ट या पहले से ढलाई की हुई कल्वर्ट के इस्तेमाल से वहां कैनोपी बनाने के काम में लग गए हैं।”श्री जैन ने कहा, “सभी एजेंसियों के भूगर्भ वैज्ञानिक और विशेषज्ञ एक टीम की तरह से मिलकर काम कर रहे हैं। भारत सरकार की मंशा स्पष्ट है, प्रधानमंत्री जी भी स्पष्ट कह चुके हैं कि किसी भी कीमत पर मजदूरों की बेशकीमती जिंदगी बचाई जाए इसके लिए जो भी संभव प्रयास हैं हम कर रहे हैं।”उन्होंने कहा, “हमें विश्वास है कि यथा संभव जल्दी इस काम में हमें सफलता मिलेगी। आप लोगों के माध्यम से हम हम मजदूरों के परिवार तकिया संदेश पहुंचाना चाहते हैं कि वह घबराएं नहीं। बचाव के इस काम में देर लग सकती है, लेकिन यह काम अवश्य पूरा होगा।”उन्होंने कहा, “घटना दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन सौभाग्य से सुरंग का दो किलोमीटर का एक हिस्सा बना हुआ है जिसमें केवल कंक्रीट डालना बाकी रह गया था।”(वार्ता)

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