गांवों में ऐसे रोका जाएगा कोरोना संक्रमण, स्वास्थ्य मंत्रालय ने की एडवाइजरी जारी

कोरोना संक्रमण अब ग्रामीण, अर्धशहरी और जनजातीय इलाकों में भी अपने पैर पसार रहा है। इसे देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने संक्रमण रोकने और संक्रमितों को इलाज मुहैया कराने के लिए एक विस्तृत गाइडलाइंस जारी की है। इसमें ग्राम पंचायतों, आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, शिक्षकों समेत अन्य के सहयोग से जागरूकता, जांच, आइसोलेशन और इलाज को लेकर विस्तृत ब्योरा दिया गया है। इसके साथ मंत्रालय ने इसमें बताया है कि किस तरह से ग्रामीण इलाकों में कोविड आइसोलेशन सेंटर, कोविड केयर सेंटर और उपचार केंद्र खोले जाएं।

अलग-अलग केस के लिए होंगे कोविड सेंटर्स

मंत्रालय की एडवाइजरी में कहा गया है कि ग्रामीण इलाकों में माइल्ड और बिना लक्षण यानि एसिम्प्टोमैटिक केस वाले लोगों के लिए कोविड केयर सेंटर बनाये जाएंगे। वहीं, डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर, मॉडरेट केस के लिए बनाये जाएंगे और सीवियर केस वाले मरीजों के लिए डेडिकेटेड कोविड अस्पताल होंगे।

कोविड केयर सेंटर कैसा हो?

-इसमें 30 बेड का इंतजाम हो।

-ये कोविड केयर सेंटर, प्राइमरी हेल्थ सेंटर, कम्युनिटी हेल्थ सेंटर की निगरानी में स्कूल, कम्युनिटी हॉल, मैरिज हॉल, पंचायत बिल्डिंग में बनाएं जाएं।

-एक बेड से दूसरे बेड की दूरी कम से कम एक मीटर तक होनी चाहिए।

-इन सेंटर्स में प्रॉपर वेंटिलेशन के साथ पीने के पानी और वॉशरूम की सुविधा हो।

-कोविड केयर सेंटर के पास बेसिक लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस हो, जिसमें पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन हो और ये सुविधा 24 घंटे हो।

-अगर यहां पर मरीज की कंडीशन माइल्ड से मॉडरेट या सीवियर हो जाए तो उसे हायर सेंटर में भेजा जाए।

डेडिकेटेड कोविड हेल्थ केयर सेंटर कैसे हों?

-डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर में मॉडरेट मरीजों के लिए कम से कम 30 बेड हों।

-डेडिकेटेड कोविड केयर हेल्थ सेंटर के तौर पर प्राइवेट हॉस्पिटल हो सकते हैं। इसके साथ, हर बेड के साथ ऑक्सीजन उपलब्ध हो।

-इन डेडिकेटेड सेंटर्स में एक ओपीडी यानि ऑउटपेशेंट डिपार्टमेंट हो और एक आईपीडी यानि इनपेशेंट डिपार्टमेंट हो। ओपीडी का मकसद है कि कोविड और नॉन कोविड पेशेंट में कम से कम इंटरेक्शन हो। इनके आने-जाने के पॉइंट्स अलावा अलग हों। और वहीं, आईपीडी इसमें कोविड के सस्पेक्टेड पेशेंट और कन्फर्म पेशेंट को अलग अलग रखा जाए।

डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल

-जिला अस्पताल और प्राइवेट हॉस्पिटल या उनके एक ब्लॉक को डेडिकेटेड हॉस्पिटल में कन्वर्ट किया जाए।

पंचायतों को जारी की गई लगभग 8,900 करोड़ रुपये की राशि

बता दें, केंद्र सरकार की ओर से 9 मई को महामारी से लड़ने के लिए पंचायतों की तीनों श्रेणियों, गांव, प्रखंड और जिला में संसाधनों को बढाने के लिए अनुदान भी जारी कर दिया है। 25 राज्यों में पंचायतों को 8923.8 करोड़ रुपये की राशि जारी की है।

(https://twitter.com/nstomar/status/1391373022364246016?s=19)

इसी सिलसिले में पीएम नरेंद्र मोदी ने भी हाल ही में देश के कई जिलों के डीएम से सीधे संवाद किया। उन्होंने कहा कि ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में बहुत ध्यान देना है। इसके साथ समाज के सबसे निचले छोर पर खड़े व्यक्ति का चेहरा ध्यान में रखते हुए हमें काम करना है।
https://twitter.com/drharshvardhan/status/1394582373514153990?s=20

आदिवासी इलाकों पर भी है फोकस

स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी की गई एडवाइजरी में ट्राइबल यानि आदिवासी इलाकों पर भी फोकस रखा गया है। इसमें कहा गया है कि आदिवासी क्षेत्रों में मोबाइल मेडिकल यूनिट का इंतजाम हो, जिसमें मेडिकल ऑफिसर, फार्मासिस्ट, स्टाफ, नर्स और लैब टेक्नीशियन हो। इनके पास रैपिड इंटिकट किट होनी चाहिए और RTPCR सैम्पल लेने की सुविधा भी हो। इन क्षेत्रों में माइल्ड केसेज का इलाज हो सके इसलिए इन्हें डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर और डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल से जोड़ा जाए।

होम आइसोलेशन में रखा जाए इन चीजों का ख्याल

स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि हर गांव में पर्याप्त मात्रा में पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर होने चाहिए। गांवों में क्वारंटाइन और होम आइसोलेशन में गए मरीजों के बारे में लगातार जानकारी के लिए फ्रंट लाइन वर्कर्स, स्वयंसेवी और शिक्षक दौरा करें। इस दौरान वे संक्रमण से बचने के सभी उपायों और गाइडलाइंस का पालन करें। इसके साथ होम आइसोलेशन में कोविड से जुड़ी दवाइयों की किट भी मुहैया करवाई जाए।

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