वाराणसी। देश के तीव्र आर्थिक विकास की अभिकल्पना को दृष्टिगत रखते हुए देश के अर्थशास्त्रियों ने देश के जनमानस की समृद्धि हेतु सहकारिता को एक सशक्त माध्यम के रूप में अपनाने की अनुसंशा की है। इन अनुसंशाओं को दृष्टिगत रखते हुए प्रधानमंत्री ने इस वर्ष के अपनी पहली कैबिनेट बैठक में तीन बहुराज्यीय सहकारी समिति एक्ट को मूर्तरूप देने का कार्य किया। जिसमें बहुराज्यीय सहकारी बीज समिति, बहुराज्य सहकारी निर्यात समिति व बहुराज्यीय सहकारी जैविक समिति है।
उक्त बातें इंदिरा गांधी सहकारी प्रबंध संस्थान, लखनऊ के निदेशक डॉ. एसएन झा ने एक कार्यक्रम में कही।उन्होंने कहा की सहकारी संस्थाएं राष्ट्र के विकास में मील का पत्थर साबित होंगी। उन्होंने कहा की उपरोक्त समितियों के गठन के पश्चात् एक तरफ जहाँ हमारे निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा तो दूसरी तरफ कृषकों को गुणवत्ता युक्त बीज भी उपलबध हो पाएगें एवं खेती पर निर्भर किसानों की आय में भी वृद्धि हो पाएगी।
वहीं इंदिरा गांधी सहकारी प्रबंध संस्थान के संकाय सदस्य मनीष कुमार मिश्रा ने कहा की बहुराज्यीय सहकारी बीज समिति द्वारा गुणवत्ता युक्त बीज के उत्पादन प्रसंस्करण, उपलब्धता प्राप्ति, ब्रांडिग, लेबलिंग, पैकेजिंग, भंडारण, विपणन, एवं वितरण से संबंधित कार्य संचालित किये जाएगे। समिति के माध्यम से देश में आयातित बीज पर से देश की निर्भरता कम होगी। बहुराज्य सहकारी निर्यात समिति भी समावेशी विकास मॉडल के माध्यम से सहकार से समृद्धि के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होगा।
समिति के माध्यम से वैश्विक बाजार में भारतीय सहकारी समितियों की निर्यात क्षमता में उत्तरोत्रर वृद्धि हो सकेगी । इस समिति के माध्यम से कृषक देश की सहकारी समितियों, सहकारी नीतियों एवं योजनाओं का लाभ प्राप्त करने में सहायक होंगे एवं उच्च निर्यात से वस्तु एवं सेवा उत्पादन में वृद्धि होने की वजह से सहकारी क्षेत्र में अधिक से अधिक रोजगार का सृजन भी हो पायेगा। इस समिति में प्राथमिक से लेकर राष्ट्रीय स्तर की सहकारी समितियां यथा प्राथमिक समिति, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर के संघ और बहुराज्य सहकारी समितियां शामिल होंगी।
उन्होंने कहा कि बहुराज्यीय सहकारी जैविक समिति प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में जैविक उत्पादों के लिए राष्ट्रीय स्तर की बहुराज्यीय सहकारी समिति की स्थापना को मंजूरी दी गई है। यह समिति घरेलू और वैश्विक बाजार में उत्पादों की मांग और खपत को अनलॉक करने में मदद करेगी। इन तीन बहुराज्यीय सहकारी समिति के आ जाने से देश के आर्थिक विकास में सहकारिता एक सशक्त भूमिका का निर्वहन करेगी।