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अनुदानित विद्यालयों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को मिलेगा शिक्षा का अवसर

योगी सरकार ने अनुदानित विद्यालयों के संचालन में पारदर्शिता और जवाबदेही को सर्वोच्च प्राथमिकता

  • शिक्षा के क्षेत्र में समावेशी और सशक्त नीतियों को लागू कर रही है योगी सरकार
  • वर्तमान में 448 अनुदानित प्राथमिक विद्यालय समाज कल्याण विभाग द्वारा हो रहे संचालित

लखनऊ । योगी सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अनुदानित प्राथमिक विद्यालयों को सुदृढ़ करने का निर्णय लिया है। पारदर्शिता और छात्रों के भविष्य को सर्वोपरि रखते हुए योगी सरकार शिक्षा के क्षेत्र में समावेशी और सशक्त नीतियों को लागू कर रही है। इसके तहत समाज कल्याण विभाग के माध्यम से संचालित इन विद्यालयों के जरिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, विशेष रूप से अनुसूचित जाति/जनजाति और गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले बच्चों को निःशुल्क और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जाएगी।

वर्तमान में उत्तर प्रदेश में 448 अनुदानित प्राथमिक विद्यालय बेसिक शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त और समाज कल्याण विभाग से अनुदान प्राप्त कर संचालित हो रहे हैं। इन विद्यालयों का प्राथमिक उद्देश्य समाज के सबसे कमजोर वर्गों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना है। इनमें विशेष रूप से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों के बच्चे शामिल हैं। योगी सरकार ने इन विद्यालयों को और मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठा रही है, ताकि शिक्षा का हर बच्चे तक पहुंच सुनिश्चित हो सके।

अनुदानित प्राथमिक विद्यालयों में निःशुल्क शिक्षा के साथ मिल रही आधुनिक शिक्षा

योगी सरकार का विजन है कि कोई भी बच्चा आर्थिक तंगी के कारण शिक्षा से वंचित न रहे। अनुदानित प्राथमिक विद्यालयों में निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक शिक्षण विधियों, बेहतर बुनियादी ढांचे और प्रशिक्षित शिक्षकों की उपलब्धता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इन विद्यालयों में पाठ्यपुस्तकें, यूनिफॉर्म और अन्य शैक्षिक सामग्री भी निःशुल्क प्रदान की जाती है, जिससे बच्चों के अभिभावकों पर आर्थिक बोझ कम हो। योगी सरकार का लक्ष्य है कि इन विद्यालयों को न केवल शिक्षा का केंद्र बनाया जाए, बल्कि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए एक मंच के रूप में स्थापित किया जाए।

विद्यालयों में नियमित निरीक्षण और ऑडिट की व्यवस्था

योगी सरकार ने अनुदानित विद्यालयों के संचालन में पारदर्शिता और जवाबदेही को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। समाज कल्याण विभाग द्वारा अनुदान की प्रक्रिया को डिजिटल और समयबद्ध बनाया गया है, ताकि धन का दुरुपयोग न हो और यह सुनिश्चित हो कि अनुदान सीधे विद्यालयों के विकास और बच्चों की शिक्षा पर खर्च हो। इसके लिए नियमित निरीक्षण और ऑडिट की व्यवस्था की गई है। साथ ही, इन विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती और प्रशिक्षण प्रक्रिया को भी और सशक्त किया जा रहा है, ताकि शिक्षा की गुणवत्ता में कोई कमी न रहे। अनुदानित विद्यालयों के माध्यम से अनुसूचित जाति/जनजाति और गरीबी रेखा से नीचे के बच्चों को मुख्यधारा की शिक्षा से जोड़ा जा रहा है। यह न केवल उनकी शैक्षिक प्रगति को सुनिश्चित करता है, बल्कि उनके आत्मविश्वास और भविष्य की संभावनाओं को भी मजबूत करता है। योगी सरकार की यह नीति ‘सबको शिक्षा, सबका सम्मान’ के सिद्धांत को साकार कर रही है।

समाज कल्याण विभाग के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने कहा कि योगी सरकार की प्राथमिकता है कि समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुंचे। अनुदानित प्राथमिक विद्यालयों के माध्यम से हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि अनुसूचित जाति, जनजाति और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को समुचित शैक्षिक संसाधन इन विद्यालयों में पारदर्शिता, जवाबदेही और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। हमारा प्रयास है कि शिक्षा के क्षेत्र में भी उत्तर प्रदेश एक उदाहरण बने।

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