देश के सभी सरकारी बाल देखभाल संस्थाओं के बच्चों के स्वास्थ्य हितों का ध्यान रखते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने विशेष पहल की है। सरकारी बाल देखभाल केंद्रों को, इंडियन एकडेमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के साथ जोड़ा जा रहा है। इसके तहत देश के सुदूर अंचलों में स्थित बाल संरक्षण गृह के संरक्षण अधिकारी और बच्चे सीधे बाल रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों से परामर्श ले सकेंगे। यह सुविधा सप्ताह के 6 दिन उपलब्ध रहेगी। कोविड के दौर में फोन पर बाल रोग निदान की इस सुविधा से देश के हजारों बच्चे लाभान्वित होंगे।
क्यों अहम है टेलीमेडिसिन की यह सुविधा
भारत कोरोना की दूसरी लहर का सामना कर रहा है। कोविड से बचाव की सावधानियों में यह भी जरूरी है कि लोग घरों से ज्यादा बाहर न निकलें। ऐसे में सामान्य बीमारियों के लिए फोन पर ही डॉक्टर से परामर्श लिया जा रहा है। देश के सुदूर बाल संरक्षण केंद्रों में रह रहे बच्चों को भी स्वास्थ्य संबंधी उचित परामर्श मिल सके, इसलिए सरकार टेलीमेडिसिन की सुविधा उपलब्ध करवा रही है। देश के दूर-दराज के क्षेत्रों में स्थित बाल देखभाल संस्थाओं के बच्चे, बाल रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों से जुड़ेंगे, उन्हें अपनी स्वास्थ्य परेशानी बताएंगे और विशेषज्ञ चिकित्सक के परामर्श और मार्गदर्शन से स्वास्थ्य लाभ ले सकेंगे।
इंडियन एकडेमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के सदस्य देंगे सेवाएं
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की इस पहल में, इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (IAP) महतवपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आईएपी के 30,000 चिकित्सक इस पहल के साथ जुड़ रहे हैं। केंद्र सरकार की इस पहल के अनुसार विभिन्न राज्यों में जिला और ब्लॉक स्तर पर कमेटी गठित की जा रही है। प्रत्येक शासकीय या अनुदान प्राप्त बाल संरक्षण गृह को बाल रोग विशेषज्ञ उपलब्ध करवाए जाएंगे। यह कार्य आईएपी द्वारा किया जाएगा। केंद्र सरकार की इस पहल से, सिर्फ एक फोन कॉल से बच्चों को चिकित्सकों की सलाह मिल सकेगी। पीडियाट्रिक्स चिकित्सा विज्ञान की वह शाखा है,जिसमें नवजात शिशुओं, बच्चों और किशोरों से जुड़े रोगों का निदान किया जाता है। देश के अलग-अलग बाल रोग विशेषज्ञ चिकित्सक, इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के सदस्य हैं।
बच्चों एवं किशोरों के सर्वांगीण विकास हेतु प्रतिबद्ध केंद्र सरकार
देश के बच्चों और किशोरों के सर्वांगीण विकास के लिए केंद्र सरकार प्रतिबद्ध है। समय-समय पर विविध उपक्रमों से केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करती है कि, बच्चों के लिए संरक्षणपूर्ण वातावरण के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ा जा सके। बच्चों के समग्र विकास में स्वास्थ्य एक आवश्यक आयाम है। यही कारण है कि इस बार केंद्र सरकार देश के सभी सुधार गृहों/देखभाल संस्थाओं में रह रहे बच्चों को ऐसी सुविधा देने की व्यवस्था कर रही है। देश में एकीकृत बाल संरक्षण योजना भी लागू है। यह किशोर न्याय (बच्चों की देख-रेख और संरक्षण) संशोधन अधिनियम 2006 (संशोधित) पर आधारित है। वैधानिक अपराध में संलग्न किशोरों, गलियों अथवा रेलवे स्टेशनों में घूमने वाले निराश्रित बच्चों और काम करने वाले बच्चों को तय आश्रय गृहों, संप्रेक्षण केंद्रों या देखभाल संस्थाओं में रखा जाता है।