Site icon CMGTIMES

मंदिर की छत से पानी की एक बूंद भी नहीं गिरी: चंपत राय

Glimpses of Pran Pratishtha ceremony of Shree Ram Janmaboomi Temple in Ayodhya, Uttar Pradesh on January 22, 2024. PM presents on the occasion.

फाईल फोटो

अयोध्या : श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चम्पत राय ने बुधवार को कहा कि श्रीरामजन्मभूमि मंदिर में वर्षा काल के दौरान छत से एक बूंद पानी नहीं टपका है और न ही कहीं से पानी गर्भगृह में प्रवेश हुआ है।गौरतलब है कि पिछले दिनो रामलला के मुख्य पुजारी सत्येन्द्र दास ने बयान दिया था कि गर्भगृह को छोडक़र जहां पर श्रद्धालु दर्शन करते हैं वहां पर पहली बरसात में पानी टपकने लगा था।इस बयान को खारिज करते हुए मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्रा ने मंगलवार को कहा था कि मंदिर की छत से पानी नहीं टपक रहा था बल्कि बौछार आने से पानी आ गया था।

श्री राय ने इस बारे में बयान जारी कर कहा कि अयोध्या में दो दिन हुए वर्षा के दौरान गर्भगृह जहां भगवान रामलला विराजमान हैं वहां एक भी बूंद पानी छत से नहीं टपका है और न ही कहीं से पानी गर्भगृह में प्रवेश हुआ है।उन्होंने कहा कि गर्भगृह के आगे पूर्व दिशा में मंडप है। इसे गूढ़मण्डप कहा जाता है। वहाँ मंदिर के द्वितीय तल की छत का कार्य पूर्ण होने के पश्चात (भूतल से लगभग 60 फीट ऊँचा) घुम्मट जुड़ेगा और मण्डप की छत बन्द हो जाएगी। इस मंडप का क्षेत्र 35 फीट व्यास का है, जिसको अस्थायी रूप से प्रथम तल पर ही ढक कर दर्शन कराये जा रहे हैं। द्वितीय तल पर पिलर निर्माण कार्य चल रहा है। रंग मंडप एवं गुढ़ मंडप के बीच दोनो तरफ (उत्तर एवं दक्षिण दिशा में) उपरी तलो पर जाने की सीढिय़ां है, जिनकी छत भी द्वितीय तल की छत के ऊपर जाकर ढँकेगी। वह कार्य भी प्रगति पर है।

श्री राय ने कहा कि सामान्यतया पत्थरों से बनने वाले मंदिर में बिजली के कन्ड्युट एवं जंक्शन बाक्स का कार्य पत्थर की छत के ऊपर होता है एवं कन्ड्युट को छत मे छेद करके नीचे उतारा जाता है जिससे मंदिर के भूतल के छत की लाइटिंग होती है। ये कन्ड्युट एवं जंक्शन बाक्स ऊपर के फ्लोरिंग के दौरान वाटर टाईट करके सतह में छुपाईं जाती है। चूंकि प्रथम तल पर बिजली, वाटर प्रूफिंग एवं फ्लोरिंग का कार्य प्रगति पर है अत: सभी जंक्शन बॉक्सेज़ में पानी प्रवेश करा वही पानी कंड्यूट के सहारे भूतल पर गिरा। ऊपर देखने पर यह प्रतीत हो रहा था की छत से पानी टपक रहा है जबकि यथार्थ में पानी कंड्यूट पाइप के सहारे भूतल पर निकल रहा था।उन्होने कहा कि उपरोक्त सभी कार्य शीघ्र पूरा हो जाएगा। प्रथम तल की फ्लोरिंग पूर्णत: वाटर टाइट हो जाएगी और किसी भी जंक्शन से पानी का प्रवेश नहीं होगा, फलस्वरूप कन्डयुट के जरिये पानी नीचे तल पर भी नही जाएगा।

ट्रस्ट के महामंत्री ने बताया कि राम मंदिर एवं परकोटा परिसर में बरसात के पानी की निकासी का सुनियोजित तरीक़े से उत्तम प्रबंध किया गया है जिसका कार्य भी प्रगति पर है। अत: मंदिर एवं परकोटा परिसर में कहीं भी जलभराव की स्थिति नहीं होगी। पूरे श्रीराम जन्मभूमि परिसर को बरसात के पानी के लिए बाहर शून्य वाटर डिस्चार्ज के लिए प्रबंधन किया गया है। श्री राम जन्म भूमि परिसर मे बरसात के पानी को अन्दर ही पूर्ण रूप से रखने के लिये रिचार्ज पिटो का भी निर्माण कराया जा रहा है।उन्होंने बताया कि राम मंदिर एवं परकोटा निर्माण कार्य तथा मन्दिर परिसर निर्माण / विकास कार्य भारत की दो अति प्रतिष्ठित कम्पनियों के इंजीनियरों एवं पत्थरों से मन्दिर निर्माण की अनेक पीढिय़ों की परम्परा के वर्तमान उत्तराधिकारी श्री चन्द्रकान्त सोमपुराजी के पुत्र आशीष सोमपुरा व अनुभवी शिल्पकारों की देखरेख मे हो रहा है अत: निर्माण कार्य की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं है।

ट्रस्ट के मुताबिक उत्तर भारत में (लोहा का उपयोग किए बिना) केवल पत्थरों से मन्दिर निर्माण कार्य (उत्तर भारतीय नागर शैली में) प्रथम बार हो रहा है। देश विदेश में केवल स्वामी नारायण परम्परा के मंदिर पत्थरों से बने हैं। भगवान के विग्रह की स्थापना, दर्शन पूजन और निर्माण कार्य केवल पत्थरों के मंदिर में संभव है। जानकारी के अभाव में मन विचलित हो रहा है। प्राण प्रतिष्ठा दिन के पश्चात लगभग एक लाख से एक लाख पन्द्रह हज़ार भक्त प्रतिदिन रामलला के बाल रूप के दर्शन कर रहे हैं , प्रात: 6.30 बजे से रात्रि 9.30 बजे तक दर्शन के लिए प्रवेश होता है। किसी भी भक्त को अधिक से अधिक एक घण्टा दर्शन के लिए प्रवेश, पैदल चलकर दर्शन करना, बाहर निकल कर प्रसाद लेने में लगता है।

उन्होंने बताया कि रामलला के मन्दिर में मोबाइल ले जाना प्रतिबंधित है। मोबाइल का प्रयोग दर्शन में बाधक है। रामलला की सुरक्षा के लिए घातक हो सकता है। इसलिए श्रद्धालुओं से मोबाइल ले जाने के लिये प्रतिबंधित किया गया है।(वार्ता)

Exit mobile version