श्रद्धा व उल्लासपूर्वक मना विजयदशमी पर्व, रावण-मेघनाथ व कुंभकर्ण के विराट पुतले का दहन
वाराणसी । काशीपुराधिपति की नगरी में बुधवार को असत्य पर सत्य की और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक पर्व विजयदशमी (दशहरा) श्रद्धा व उल्लासपूर्वक मनाया गया। खलनायक बनी बारिश के बावजूद बनारस रेल इंजन कारखाना परिसर, मलदहिया चौराहा सहित जिले के कई जगहों पर आयोजित रामलीला में लंकापति रावण, मेघनाथ व कुंभकरण के प्रतीक रूप से वध के पश्चात उनके विशाल पुतलों का दहन किया गया। इस दौरान जमकर आतिशबाजी के साथ भगवान राम के जयकारे भी लगे। महापर्व पर शहरी व ग्रामीण अंचलों में कई स्थानों पर आयोजित मेले में भारी भीड़ बारिश के बावजूद जुटी रही। वैश्विक महामारी कोरोना के चलते पूरे दो साल बाद भव्य दशहरा मेला देख लोग आह्लादित दिखे।
महापर्व पर समाज सेवा संघ, पंजाबी समाज की ओर से मलदहिया चौराहे स्थित पटेल प्रतिमा के पास आयोजित रामलीला में लंकापति रावण के बध के बाद रावण के विराट पुतले का दहन किया गया। इस दौरान पुतले में आतिशबाजी बच्चों में आकर्षण बनी रही। रामलीला में राज्यमंत्री रविन्द्र जायसवाल, समाज सेवा संघ के अध्यक्ष मंगल सोनी, तिलक राज कपूर, चमन सलूजा, विनय कुमार दत्त आदि की मौजूदगी रही। इसी क्रम में बनारस रेल इंजन कारखाना परिसर के केंद्रीय खेल मैदान में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के विशाल पुतले का दहन किया गया।
भव्य आतिशबाजी के बीच लोगों ने भगवान राम के विजय का जश्न मनाते हुए जयश्री राम, जय जय श्री राम के गगनभेदी जयकारे भी लगाये। लंकापति रावण के 75 फीट, कुम्भकर्ण के 70 फीट और मेघनाद के 65 फीट ऊंचे विशाल पुतले के दहन को लेकर बच्चों और युवाओं में गजब का उत्साह दिखा। तीनों पुतलों के अन्दर ही पटाखे भी लगाये गये थे। विशाल पुतलों के दहन के पूर्व 62 कलाकारों ने मोनो एक्टिंग के जरिये ढाई घंटे में राम वन गमन से लेकर रावण वध की आकर्षक प्रस्तुति की। मोनो एक्टिंग रूपक मंचन बरेका विद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा किया गया। सहयोग में सेंट जॉन्स एम्बुलेंस बिग्रेड, सिविल डिफेंस एवं जिला स्काउट एवं गाइड के सदस्य भी जुटे रहे। मैदान पर 6000 कुर्सियां लोगों के लिए लगाई गई थी। उत्तर प्रदेश पुलिस एवं बरेका रेलवे सुरक्षा बल ने मेले में सुरक्षा का व्यापक प्रबंध किया था।
बारिश ने कई बार डाली बाधा, रावण का पुतला भींग कर झुका, युद्ध स्तर पर क्रेन से ठीक किया गया
लगातार बारिश से बरेका परिसर में रावण, कुम्भकर्ण, मेघनाथ के विराट पुतले भींग कर खराब होने के साथ झुक गये। यह देख बरेका विजयदशमी समिति के पदाधिकारी चिंतित हो गये। पदाधिकारियों ने क्रेन मंगवाकर युद्ध स्तर पर पुतलों को ठीक कराने के साथ रस्सी से बंधवाया। काफी प्रयास के बाद जब आयोजन सफल हुआ तब पदाधिकारी भी बेहद खुश दिखे। बरेका दशहरा मेला में रावण, कुम्भकरण एवं मेघनाद के पुतलों का निर्माण शमशाद खान द्वारा किया गया।(हि.स.)