सिंगरौली। एनसीएल द्वारा बीते 29 नवंबर को एचईएमएम ऑपरेटर के विभिन्न पदों के लिए भर्ती के लिए आयोजित परीक्षा प्रक्रिया में कथित कदाचरण के बाद से ही छात्रों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। इस मामले में कई दलगत नेताओं ने भी इस प्रक्रिया में एनसीएल के अधिकारियों की मिलीभगत का आरोप लगाते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। इधर आरोपों से घिरे एनसीएल प्रबंधन ने बचाव की कवायद शुरू कर दी है।
प्रबंधन द्वारा सूचना जारी कर कहा गया कि इस संदर्भ में प्राप्त सभी आरोपों की निष्पक्ष जांच हेतु एनसीएल प्रबंधन ने वरिष्ठ अधिकारियों की एक स्वतंत्र समिति का गठन किया है। जिनके द्वारा दिनांक 12 जनवरी तक सभी अभ्यार्थियों से उक्त परीक्षा और प्राप्त अंकों से संबंधित शिकायत उपलब्ध साक्ष्यों के साथ जांच समिति के ईमेल आईडी अथवा जांच समिति के अध्यक्ष को भेजने को कहा गया है। परंतु छात्रों का आरोप है कि उनके द्वारा दिए जा रहे साक्ष्यों पर जांच कमेटी द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।
इस मामले में नाराज छात्रों का कहना है कि इसकी निष्पक्ष जांच अन्य एजेंसियों से कराई जानी चाहिए क्योंकि जो लोग इस कथित घपले में शामिल हैं, उनके जूनियर अधिकारियों से जांच कराकर मामले पर लीपापोती की जा रही है। इसी को लेकर नाराज छात्रों ने आज एनसीएल मुख्यालय गेट पर कंपनी प्रबंधन के विरुद्ध कई घंटों तक उग्र प्रदर्शन किया। प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने आरोप लगाया कि जिन अभ्यर्थियों का एक प्रश्न पत्र में 90 से ऊपर अंक आया है, उन्हीं अभ्यर्थियों का अन्य प्रश्न पत्रों में 50 फ़ीसदी से भी कम अंक हासिल हुआ है। जिन्हें बचाने के लिए एनसीएल प्रबंधन पुरजोर तरीके से लगा है। इस परीक्षा को प्रबंधन द्वारा न तो निरस्त किया जा रहा है और ना ही उन अभ्यार्थियों का साक्षात्कार कराया जा रहा है।
छात्रों का आरोप है कि इसमें कथित अभ्यार्थियों का कॉल डिटेल निकालने से भी उनकी एनसीएल के अधिकारियों से सांठगांठ का खुलासा हो जाएगा। परंतु प्रदर्शन कर रहे छात्रों की मांगों को दरकिनार कर एनसीएल प्रबंधन उन्हें 12 तारीख तक लिखित रूप से शिकायत दर्ज कराने पर अड़ा है। ऐसे में एनसीएल प्रबंधन के द्वारा बैठाई गई जांच कमेटी पर भरोसा न करना लाजिमी है।
घंटों चले प्रदर्शन के बाद हालात बिगड़ते देख मोरवा पुलिस को मोर्चा संभालना पड़ा जिसकी समझाइश के बाद यह निर्णय लिया गया कि मामले की जांच प्रक्रिया पूरी होने के बाद इसे सार्वजनिक किया जाए। साथ ही इसकी प्रतिलिपि जिला प्रशासन को भी सौंपी जाए। इसके बाद ही छात्र वापस लौटे।