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आर्थिक वृद्धि तेजी को सुनिश्चित कर रहा है बड़ा सार्वजनिक पूंजी निवेश: निर्मला सीतारमण

फाईल फोटो गुगल

नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि सरकार ने सार्वजनिक पूंजीगत व्यय में साल दर साल वृद्धि बनाए रखी है क्योंकि इससे और अधिक निवेश प्रेरित होता है तथा आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि तेज होती है।श्रीमती सीतारमण ने कहा,“ पिछले 3-4 वर्षों से, सार्वजनिक पूंजीगत व्यय पर लगातार जोर दिया गया है। इस साल के बजट में पूंजीगत व्यय में 30 प्रतिशत की वृद्धि की गयी है, पिछले साल के बजट में भी पूंजीगत व्यय में भारी वृद्धि की गयी थी। ”

वित्त मंत्री ने राजधानी में उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) द्वारा इस बार के बजट प्रस्तावों पर चर्चा के लिए आयोजित बैठक में कहा यह पहली बार है कि पूंजीगत व्यय 10 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया है और यह इस बजट का स्पष्ट रूप से एक मुख्य आकर्षण बन गया है।”उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूंजीगत व्यय पर बराबर जोर रहता है क्यों कि इसका अन्य क्षेत्रों पर गुणक प्रभाव पड़ता है। केंद्रीय वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि बजट में पूंजीगत व्यय के प्रावधानों में कई प्रमुख उद्योगों को लाभ पहुंचाने की क्षमता है।

उन्होंने साथ-साथ यह भी कहा,“ हमें यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि हम समाज में उन लोगों का ख्याल रखें जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। इसलिए, हम जरूरतमंदों के लिए मुफ्त अनाज कार्यक्रम इस पूरे वर्ष में भी जारी रखेंगे, ताकि कोई भी परिवार भोजन के बिना न रहे। ”उन्होंने कहा कि आर्थिक समावेशन के अलावा, हमारा प्रमुख ध्यान सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) पर होना चाहिए, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और महत्वपूर्ण रोजगार सृजक हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार राज्यों के साथ-साथ पंचायती राज जैसे शासन की तीसरी सीढ़ी के स्तर से भी इस दिशा में सहयोग कर रही है। सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि एमएसएमई प्राथमिकताएं एजेंडे में सबसे ऊपर रहें।

उन्होंने कहा कि गांवों में स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा वास्तव में महिला समूह हैं। देश में 81 लाख से अधिक महिला स्वयं सहायता समूह हैं। सरकार उनके पोर्टफोलियो में ब्रांडिंग और बाजार खोज गतिविधियों को जोड़ रही।पीएचडी चैंबर के अध्यक्ष साकेत डालमिया ने कहा कि भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के दीर्घकालिक दृष्टिकोण में उद्योग के साथ कृषि क्षेत्र का सुस्थापित जुड़ाव और इस क्षेत्र के लिए अभिनव समाधान समावेशी विकास के हमारे लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होंगे।चैंबर के उपाध्यक्ष हेमंत जैन ने समापन भाषण दिया। उन्होंने कर संग्रह में वृद्धि और राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने के लिए सरकार की सराहना की।

वित्त मंत्री श्रीमती सीतारमण ने उद्योगमंडल एसोचैम की एक बैठक में भी वर्ष 2023-23 के बजट में पूंजीगत व्यय पर विशेष बल का किया और कहा कि बजट में पूंजीगत व्यय के मद पर 10 लाख करोड़ रुपये 12 महीनों के भीतर सुनिश्चित तौर पर खर्च किए जाएंगे। उन्होंने इसी संदर्भ में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को ‘विदेशी झटकों का सामना करने के लिए तैयार किया जाएगा।’एसोचैम की बैठक में उठाए गए मुद्दों के उत्तर में वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले दो वर्षों की तरह, यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया जाएगा कि आने वाले वित्त वर्ष के लिए बजट में पूंजीगत मदों के लिए किए गए आवंटन वास्तव में खर्च किए जांए, और पैसा विभिन्न मंत्रालयों तथा राज्यों की परियोजनाओं में लगे।

श्रीमती सीतारमण ने कहा कि बजट की प्राथमिकता आर्थिक वृद्धि तेज करना है। यह पूछे जाने पर कि क्या किसी अप्रत्याशित वैश्विक जोखिम के लिए सरकार ने व्यवस्था कर रखी है तो उन्होंने कहा ‘हां यदि संभव हो; हमें तैयार रहना चाहिए। लेकिन जहां तक महत्वपूर्ण माल सामग्री की बात आती है, सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि हमारे किसान जैसे वर्गों के लोगों के लिए सामग्री के अभाव से पीड़ित न हों या उन्हें बहुत अधिक कीमत न देनी पड़े।”वित्त मंत्री ने कहा कि बजट हरित हाइड्रोजन, नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से ऊर्जा परिवर्तन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराता है।(वार्ता)

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