पगडेवा विद्यालय में हुई मासूम की मौत का असली गुनहगार कौन
बच्चे के परिजनों को नही मिला न्याय, 10-12 वर्ष पूर्व बने स्कूल की गुणवत्ता पर सवाल खड़ेकर की जांच की खानापूर्ति
दुद्धी,सोनभद्र: ब्लाक क्षेत्र के ग्राम पगडेवा के प्राथमिक विद्यालय में दस दिन पूर्व घटे हृदय विदारक घटना ने एक नौनिहाल की जिंदगी छीन ली। इस बड़ी घटना के लिए शिक्षक को जिम्मेदार मानते हुए उन्हें निलंबित कर दिया गया। आक्रोशित ग्रामीणों ने कार्रवाई के नाम पर महज शिक्षक के निलंबन को खानापूर्ति करार देकर, असली जिम्मेदारों को बचाने का आरोप लगाया है।
इस गंभीर प्रकरण की जांच में लगे अधिकारियों ने 10-12 वर्ष पूर्व बने इस विद्यालय की गुणवत्ता पर सवाल खड़े करते हुए, मामले को यू टर्न देते हुए वर्तमान के दोषियों को क्लीनचीट देने का काम किया है। जिस गेट से दबकर बच्चे की मौत का मामला सामने आया है, उसे शुरू से ही कमजोर बनाने की बात जांच में बताई गयी है। अब सवाल यह उठता है कि यदि वह गेट का पीलर कमजोर था तो स्कूल कायाकल्प के नाम पर उस पीलर व बाउंडरी के प्लास्टर को घन हथौड़े से प्रहार करवाकर क्यूं तुड़वाया गया। कमजोर पीलर को और ज्यादा जर्जर करके बच्चों पर गिरने के लिए छोड़ दिया गया।
ग्राम शिक्षा समिति के अध्यक्ष हरेराम समेत कई ग्रामीणों ने बताया कि पांच-छः माह पूर्व ही मना करने के बावजूद स्कूल की पूरी चाहरदीवारी समेत गेट के पीलर,स्कूल भवन के दीवार और स्कूल की छत के प्लास्टर को घन हथौड़े से प्रहार कर तुड़वा दिया गया, जिससे गेट जर्जर होकर हिलने लगा। इस बाबत प्रधान व सेक्रेटरी से कई बार किसी अनहोनी की आशंका जताते हुए, इसे शीघ्र बनवाने को कहा गया, लेकिन अनदेखी व अनसुना कर दिया गया। जिसका दुष्परिणाम एक मासूम की जान गंवाकर भुगतना पड़ा।
इस बाबत एडीओ पंचायत समर बहादुर सिंह ने बताया कि कायाकल्प में सिर्फ स्कूल का फर्श लिया गया था। यदि स्कूल के कायाकल्प में सिर्फ फर्श लिया गया था तो गेट के पीलर समेत पूरी बाउंडरी का प्लास्टर छुड़वाकर, उसे और ज्यादा जर्जर व कमजोर करके गिरने के लिए क्यों छोड़ दिया गया। आखिर इसके लिए जिम्मेदारों पर इसकी जिम्मेदारी क्यों नही तय की गई ? यहां यह भी बताना मुनासिब होगा कि इस प्राथमिक विद्यालय में सबसे खतरनाक स्थिति स्कूल भवन के छत की बनी हुई है। जिसे घन हथौड़े से बुरी तरह क्षतिग्रस्त करवाकर टूटे हालत में छोड़ दी गयी है। उसी छत के नीचे आज भी दर्जनों नौनिहाल जान हथेली पर रखकर पढ़ने को विवश हैं।
इस मामले में शिक्षक को तो निलंबित कर दिया गया, लेकिन असली गुनहगारों को बचाने की कोशिश की जा रही है। ग्रामीणों ने जिलाधिकारी का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराते हुए किसी दूसरे एजेंसी से इसकी जांच कराकर,दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।