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शिक्षा विभाग में ट्रांसफर पोस्टिंग के नाम पर बड़ा खेल

अजीत मिश्र

पटना।बिहार में ट्रांसफऱ-पोस्टिंग को लेकर राजस्व एवम भूमि सुधार विभाग के बाद शिक्षा विभाग अचानक विशेष चर्चा में आ गया है। यहां भी तबादलों और पदस्थापना में बड़े पैमाने पर पैसों के लेन-देन और धांधली की बात सामने आ रही है। अधिकारी दबी जुबान से आरोप लगा रहे हैं कि ट्रांसफर-पोस्टिंग में कार्यपालिका आदेश की धज्जियां उड़ाई गयी हैं। चर्चा है कि बड़े पैमाने पर रुपये का लेन-देन हुआ है।

बताया जा रहा है कि मोटी रकम लेकर तीन वर्षों से एक ही स्थान पर जमें अधिकारियों को तो छोड़ दिया गया है लेकिन एक से डेढ़ वर्ष वाले अधिकारियों का तबादला कर दिया गया है।  यहीं नहीं वगैर प्रशिक्षण वाले 64 लोगों को वित्तीय कार्य हेतु उच्च पद पर पदस्थापित भी कर दिया गया है।4800 ग्रेड पे वालों को कई जिलों में जिला शिक्षा पदाधिकारी यानि डीईओ बना दिया गया है।  शिक्षा विभाग से जुड़े आंतरिक सूत्रों के मुताबिक समस्तीपुर के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ) अवधेश कुमार सिंह, बक्सर के डीपीओ राजेन्द्र चौधरी और कैमूर के डीपीओ यदुवंश राम तीन साल की अवधि पूरा कर चुके हैं। लेकिन इन लोगों का स्थानांतरण नहीं किया गया।
वहीं पटना डीपीओ रुपेन्द्र कुमार सिंह, रोहतास के डीईओ प्रेमचंद और बेतिया के डीईओ कुमार विमल को साल भर के भीतर स्थानांतरित कर दिया गया है।

इसी प्रकार तीन वर्षों से एक ही स्थान पर नियुक्त सहायक निदेशक रमेश चन्द्र एवम सीमा रानी और मधेपुरा के डीपीओ कृष्णानंद सदा को नहीं छेड़ा गया है। वे अपने पद पर यथावत हैं। जबकि रोहतास के पीओ सुधीर रंजन सहाय, भोजपुर के पीओ प्रकाश रंजन, गया के पीओ शैलेन्द नारायण सिंह और नालंदा के पीओ रामजी प्रसाद सिंह को एक साल के भीतर स्थानांतरित कर दिया गया है।
शिक्षा विभाग में हुई धांधली का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि 64 ऐसे नव नियुक्त अधिकारियों को वित्तीय अधिकार वाले पदों पर बैठाया गया है तो प्रशिक्षित नहीं हैं। आरोप है कि लाखों रुपये का वारा-न्यारा कर ट्रांसफर-पोस्टिंग की गयी है।
जानकारी के लिए बता दें कि 30 जून को शिक्षा विभाग में बड़े पैमाने पर अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग की अधिसूचना जारी हुई। इसको आगामी विधानसभा चुनाव से पूर्व की कवायद से जोड़ा जा रहा है।

मालूम हो कि राजस्व एवम भूमि सुधार विभाग में बड़े पैमाने पर हुए स्थानांतरण-पदस्थापन में भारी धांधली की शिकायत मिलने के बाद मुख्यमंत्री ने तत्काल प्रभाव से आदेश को निरस्त कर दिया है। मुख्य सचिव दीपक कुमार की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि कार्यपालिका नियमावली का पालन नहीं किये जाने के चलते इस आदेश को स्थगित किया जाता है।

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