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केंद्र सरकार की बड़ी उपलब्धि, वित्तीय समावेशन में चीन, जर्मनी से आगे निकला भारत

 केंद्र सरकार ने शुरू से ही इस बात पर जोर दिया है कि जरूरतमंदों और गरीब तबके के लोगों को किसी भी कारण से सामाजिक-आर्थिक रूप से उपेक्षा का शिकार न होना पड़े। इसलिए सरकार ने इन वर्गों का वित्तीय समावेशन करने और उन्हें सहायता प्रदान करने के प्रति विशेष रूप से प्रतिबद्धता दिखाई है। यही कारण है कि जनधन योजना, बैंक मित्रों और आधार-मोबाइल के माध्यम से सरकार ने वित्तीय समावेशन में सराहनीय भूमिका निभाई है। आज अगर भारत चीन, दक्षिण अफ्रीका और जर्मनी से वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में आगे निकल गया है तो सरकार की वंचितों और गरीब उन्मुखी नीतियों का ही नतीजा है, जो सरकार की राष्ट्रीय प्राथमिकताओं में शामिल है। सरकार की ये नीतियां गांव के गरीब लोगों को साहूकारों-सूदखोरों के चंगुल से बाहर निकालने का अवसर प्रदान करती है।

PMJDY अर्थात प्रधानमंत्री जन-धन योजना सरकार की इस प्रतिबद्धता की दिशा में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। 15 अगस्त 2014 को पीएम मोदी ने PMJDY अर्थात प्रधानमंत्री जन-धन योजना की घोषणा की थी, जिसकी शुरुआत 28 अगस्त को हुई। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अनुसार 2020 में 1,000 वयस्कों पर मोबाइल एवं इंटरनेट बैंकिंग लेनदेन 74 गुना बढ़ा, जो आज की आज की तारीख में 13,615 है। जबकि इन आंकड़ों को 2015 के परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो उस समय यह आंकड़ा सिर्फ 183 था। जिससे साफ होता है कि केंद्र सरकार ने सत्ता संभालते ही इस ओर विशेष ध्यान दिया और लगभग सात साल में विकसित देशों को पीछे छोड़ते हुए वित्तीय समावेशन के इस मुकाम को हासिल किया।

इसी दौर में अगर बात बैंक शाखाओं की करें तो बैंक शाखाओं की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। 2015 में प्रति एक लाख वयस्कों पर 13.6 बैंक शाखाएं थीं, जो कि 2020 में 14.7 की संख्या तक पहुंच गईं। ध्यान देने वाली बात यह है कि बैंक शाखाओं की यह संख्या चीन, जर्मनी और दक्षिण अफ्रीका जैसे विकसित देशों से भी ज्यादा है। सौम्य कांति (SBI समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार) ने कहती हैं कि वित्तीय समावेशन के सात वर्षों के दौरान नॉन-फ्रिल खाता योजना (न्यूनतम बैलेंस की अनिवार्यता नहीं) के तहत बैंकों में जमा खाते वाले व्यक्तियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो उभरती अर्थव्यवस्थाओं और यहां तक कि कुछ विकसित अर्थव्यवस्थाओं के आसपास पहुंच गई हैं। SBI की रिपोर्ट कहती है कि डिजिटल भुगतान के इस्तेमाल में भी बेहतरीन प्रगति हुई है और जिन राज्यों में वित्तीय समावेशन/प्रधानमंत्री जनधन योजना खातों की संख्या ज्यादा है, उन गांवों तक बैंकिंग सेवाओं की पहुंच बढ़ी और अपराध और नशीले पदार्थों की खपत में भी गिरावट देखने को मिली।

डिजिटल भुगतान में प्रगति

अब अगर डिजिटल भुगतान की बात करें तो SBI रिपोर्ट के अनुसार, 20 अक्टूबर, 2021 तक नॉन-फ्रिल बैंक खातों की संख्या बढ़कर 43.7 करोड़ पहुंच गई है, जिनमें 1.46 लाख करोड़ रुपये जमा हैं। इन खातों में करीब दो तिहाई खाते ग्रामीण और अर्द्ध शहरी इलाकों में हैं। 34 करोड़ यानी 78 फीसदी से ज्यादा नॉन-फ्रिल खाते सरकारी बैंकों में हैं, जबकि 18.2 फीसदी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में और तीन फीसदी निजी बैंकों में हैं।

गांव-गांव बैंकिंग सेवाएं

SBI समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार भी ग्रामीण इलाकों में बैंकिंग सेवाओं की पहुंच बढ़ाने में बैंक मित्रों के योगदान की बात स्वीकार करते हैं। बैंक मित्रों के इस महत्वपूर्ण योगदान के कारण वित्तीय समावेशन और आगे बढ़ा। पर भी दिखा है। SBI रिपोर्ट कहती है कि मार्च, 2010 तक ग्रामीण इलाकों में कुल बैंक शाखाएं 33,378 थीं, जो दिसंबर, 2020 तक 55,073 हो गईं। दूसरी तरफ अगर बैंक मित्रों की बात की जाए तो गांवों में बैंक मित्रों की संख्या भी 34,174 से 12.4 लाख तक पहुंच गई। अपराध और

नशीले पदार्थों की खपत में गिरावट

SBI रिपोर्ट बताती है कि उन राज्यों में आपराधिक घटनाओं और नशीले पदार्थों में गिरावट आई, जहां वित्तीय समावेशन/प्रधानमंत्री जनधन योजना खातों की संख्या ज्यादा रही। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्तीय समावेशन के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री जन-धन योजना (PMJDY) की सातवीं वर्षगांठ के मौके पर कहा था कि “सात वर्षों की छोटी सी अवधि में PMJDY की अगुवाई में किए गए उपायों ने रूपांतरकारी और दिशात्मक बदलाव पैदा किया है, जिसने उभरते हुए वित्तीय संस्थानों के इकोसिस्टम को समाज के अंतिम व्यक्ति-सबसे गरीब व्यक्ति को वित्तीय सेवाएं देने में सक्षम बनाया है। PMJDY के अंतर्निहित स्तंभों यानी बैंकिंग सेवा से अछूते रहे लोगों को बैंकिंग सेवा से जोड़ने, असुरक्षित को सुरक्षित बनाने और गैर-वित्तपोषित लोगों का वित्त पोषण करने जैसे कदमों ने वित्तीय सेवाओं से वंचित और अपेक्षाकृत कम वित्तीय सेवा हासिल करने वाले इलाकों को सेवा प्रदान करने के क्रम में प्रौद्योगिकी का लाभ उठाते हुए बहु-हितधारकों के सहयोगात्मक दृष्टिकोण को अपनाना संभव बनाया है।”

प्रधानमंत्री जन-धन योजना (PMJDY) एक नजर…

उद्देश्य – सस्ती कीमत पर वित्तीय उत्पादों और सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करना – लागत कम करने और पहुंच बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग विशेषताएं – बैंकिंग सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुंच – शाखा और बीसी – प्रत्येक पात्र वयस्क को 10,000/- रुपये की ओवरड्राफ्ट सुविधा के साथ बुनियादी बचत बैंक खाता – वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम- बचत, एटीएम के उपयोग, क्रेडिट के लिए तैयार होने, बीमा एवं पेंशन का लाभ उठाने, बैंकिंग से जुड़े कार्यों के लिए बेसिक मोबाइल फोन के उपयोग को बढ़ावा देना – क्रेडिट गारंटी फंड का निर्माण – बकायों के मामले में बैंकों को कुछ गारंटी प्रदान करने के लिए – बीमा – 15 अगस्त 2014 से 31 जनवरी 2015 के बीच खोले गए खातों पर 1,00,000 रुपये तक का दुर्घटना बीमा और 30,000 रुपये का जीवन बीमा – असंगठित क्षेत्र के लिए पेंशन योजना

उपलब्धियां –

प्रधानमंत्री जन-धन योजना (PMJDY) – वित्तीय समावेशन का राष्ट्रीय मिशन, जिसने अपने सात साल पूरे कर लिए हैं – PMJDY की शुरुआत के बाद से अब तक इसके तहत कुल 43.04 करोड़ से अधिक लाभार्थियों के बैंक खातों में 146,231 करोड़ रुपये भेजे गए – सातवर्षों की छोटी सी अवधि में उभरते हुए वित्तीय संस्थानों के इकोसिस्टम को समाज के अंतिम व्यक्ति-सबसे गरीब व्यक्ति को वित्तीय सेवाएं देने में सक्षम बनाया है।”- वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण – PMJDY खातों की संख्या मार्च 2015 में 14.72 करोड़ से तीन गुना बढ़कर 18-08-2021 तक 43.04 करोड़ हो गई है – 55% जन-धन खाताधारक महिलाएं हैं और 67%जन-धन खाते ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी इलाकों में हैं – कुल 43.04 करोड़ PMJDY खातों में से, 36.86 करोड़ खाते (86%) चालू हैं – PMJDY खाताधारकों को जारी किए गए रुपे कार्ड की कुल संख्या: 31.23 करोड़ – प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत कोविड लॉकडाउन के दौरान महिला PMJDY खाताधारकों के खातों में कुल 30,945 करोड़ रुपये जमा किए गए – लगभग 5.1 करोड़ PMJDY खाताधारक विभिन्न योजनाओं के तहत सरकार से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) प्राप्त करते हैं

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