भदोही के डीएम व विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी कोर्ट में तलब
31 साल पूर्व अधिग्रहीत भूमि का मुआवजा न देने का मामला
वाराणसी। अधिग्रहीत भूमि का मुआवजा देने के आदेश का पालन नहीं होने पर अदालत ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए भदोही के जिलाधिकारी तथा विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी को तलब किया है। विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) पुष्कर उपाध्याय ने दोनों अधिकारियों को नोटिस जारी कर 14 दिसंबर 2020 को अदालत में उपस्थित होकर लिखित स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। अदालत ने आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रदेश के प्रमुख सचिव को नोटिस की प्रति भेजने का भी आदेश दिया है।
प्रकरण के मुताबिक प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 1988 में भदोही के खड़गपुर गांव निवासी किसान प्रेमशंकर की लगभग 26 बिस्वा जमीन अधिग्रहित किया गया था। एक जनवरी 1989 को भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई भी पूरी कर ली गई। भूमि अध्याप्ति अधिकारी द्वारा जब अधिग्रहीत जमीन का बाजार दर से कम दर निर्धारित किया जाने लगा तब प्रेम शंकर ने वर्ष 1989 में अदालत में मुकदमा दायर किया। अदालत ने 15 हजार रुपया प्रति बिस्वा की दर निर्धारित करते हुए मुआवजा की कुल चार लाख 99 हजार धनराशि प्रेमशंकर को देने का आदेश दिया। बाद में विभाग द्वारा कुछ ही धनराशि दी गई बाकी रकम का भुगतान नहीं किया गया। इस पर प्रेमशंकर ने अदालत में पुनः गुहार लगाया। अदालत ने बकाया भुगतान देने का आदेश दिया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसपर अपर जिला जज (तृतीय) ने वर्ष 2017 में जिलाधिकारी का खाता कुर्क करने का आदेश दिया। विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी द्वारा बकाया धनराशि भुगतान करने का आश्वासन दिए जाने पर अदालत ने कुर्क खाता को रिलीज कर दिया। बाद में विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी द्वारा प्रेम शंकर को भुगतान नहीं किया गया। इस पर अदालत ने 15 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी को तलब कर लिया था।जिसके बाद विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी ने 24 अप्रैल 2017 को बकाया धनराशि का कुछ भाग भुगतान किया। न्यायालय द्वारा कई अवसर दिए जाने के बाद भी किसान को मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया। समय से भुगतान नहीं करने के कारण मुआवजा की धनराशि चार लाख 99 हजार 378 रुपए से बढ़कर अब नौ लाख 27 हजार रुपया हो गयी है।