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कलेक्ट्रेट हो या तहसील भवन, बजट पुनरीक्षण की अनुमति नहीं: मुख्यमंत्री

लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिला और मंडल मुख्यालयों पर जनता से सीधे जुड़े कार्यालयों के लिए इंटीग्रेटेड कॉम्प्लेक्स के निर्माण पर बल दिया है। शुक्रवार को शुक्रवार को राजस्व विभाग अंतर्गत जारी निर्माण कार्यों की समीक्षा करते हुए उन्होंने कहा कि गोरखपुर और वाराणसी में प्रशासनिक कार्यालयों के लिए इंटीग्रेटेड कॉम्प्लेक्स का निर्माण कराया जा रहा है, ऐसे ही सभी जिलों में किया जाना चाहिए। इससे एक ही परिसर में सभी प्रमुख अधिकारी उपलब्ध होंगे और आम आदमी को भाग-दौड़ नहीं करना होगा। उन्होंने निर्देश दिए कि बुलन्दशहर और संभल में प्रस्तावित कलेक्ट्रेट कार्यालयों को इंटीग्रेटेड कॉम्प्लेक्स के रूप में ही विकसित किया जाए।

निर्माणाधीन परियोजनाओं की अद्यतन स्थिति की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कार्य की गुणवत्ता पर जोर देते हुए कहा कि निर्माण से जुड़ी पीडब्ल्यूडी तथा कार्यदायी संस्थाओं में विशेषज्ञ इंजीनियरों का अभाव है। उचित होगा कि सेवानिवृत्त अनुभवी अथवा प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थानों के दक्ष प्रोफेशनल की सेवाएं ली जाएं। विभिन्न कार्यदायी संस्थाओं को अपने कामकाज को ‘प्रोफेशनल’ बनाने की जरूरत बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी को शासन स्तर से हर संभव सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। बजट हो या मैनपॉवर, कहीं कोई कमी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने निर्देश दिए कि सभी कार्यदायी संस्थाएं अपने कार्यों की साप्ताहिक समीक्षा करें, जबकि सचिव स्तर के अधिकारी द्वारा निर्माण कार्यों की पाक्षिक समीक्षा की जाए। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि 50 करोड़ से अधिक की सभी निर्माण परियोजनाओं का किसी बाहरी टेक्निकल इंस्टिट्यूट द्वारा थर्ड पार्टी मासिक ऑडिट कराया जाए। जबकि इससे कम लागत वाली परियोजनाओं की ऑडिट स्थानीय तकनीकी संस्थाओं द्वारा कराया जाए, यह वहां के विद्यार्थियों के लिए भी उपयोगी होगा।

मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि कार्य प्रारंभ होने से पूर्व परियोजना की जो डिजाइन तय हुई है, उसमें किसी प्रकार का बदलाव कार्य प्रारंभ होने के बाद नहीं होना चाहिए। अपरिहार्य परिस्थितियों में शासन से अनुमोदन लिया जाना अनिवार्य हो। उन्होंने कहा कि निर्माण परियोजनाओं में देरी न केवल लागत में वृद्धि का कारण बनती है, बल्कि लक्षित वर्ग को समय पर लाभ से वंचित भी करती है। तहसील अथवा कलेक्ट्रेट से जुड़े किसी नही निर्माण परियोजना का बजट पुनरीक्षण नहीं किया जाना चाहिए। यही नहीं, परियोजना पूर्ण होने के बाद हस्तगत होने से पूर्व जिलाधिकारी द्वारा भी उसका भौतिक निरीक्षण किया जाए। कार्य की गुणवत्ता मानक के अनुरूप न हो तो संबंधित के विरुद्ध कार्रवाई भी की जाए।

मुख्यमंत्री ने जनपद शामली के कलेक्ट्रेट के अनवासीय भवनों के निर्माण की कार्यवाही पूरी करने के लिए दो माह का समय नियत करते हुए कहा कि यदि इसके बाद विलम्ब होता है तो संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि गोरखपुर कलेक्ट्रेट भवन का शीघ्र निर्माण स्थानीय आवश्यकता के दृष्टिगत महत्वपूर्ण है, इसे बिना विलंब प्रारंभ करा दिया जाए। वहीं, लखनऊ में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण भवन को प्रत्येक दशा में अगले दो माह में पूरा कराने के भी निर्देश दिए गए। मुख्यमंत्री ने सुल्तानपुर की नवसृजित तहसील बल्दीराय, मथुरा के गोवर्धन, लखीमपुर की निघासन, गोला गोकर्णनाथ व धौरहरा तहसीलों के आवासीय भवनों के निर्माण कार्यों के पूरा होने के बाद इसके भौतिक सत्यापन के निर्देश दिए।

औरैया जिलाधिकारी आवास और औरैया में तहसील कर्मियों के लिए आवास निर्माण कार्य को तेज करने की जरूरत बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि परियोजना प्रारम्भ होने के साथ ही उसके पूर्ण होने की तिथि भी तय कर दी जाए और उसका अनुपालन भी सुनिश्चित कराया जाए। इसी तरह, जालौन के उरई में कलेक्ट्रेट परिसर में अभिलेखागार, चंदौली में उपजिलाधिकारी आवास, बाराबंकी की फतेहपुर तहसील, सिद्धार्थनगर की नौगढ़ तहसील, जालौन की उरई तहसील, तहसील अमरोहा के अनावासीय/आवासीय भवनों के निर्माण आदि से संबंधित संचालित परियोजनाओं को तय समय-सीमा में पूरा किया जाए।

बैठक में मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि राजस्व विभाग अंतर्गत ₹1 करोड़ से अधिक लागत वाली 72 परियोजनाएँ संचालित हैं। इनकी कुल लागत ₹904.56 करोड़ है। इनमें 35 परियोजनाएं ऐसी हैं, जिनकी प्रगति 75% से 100% के लगभग है। प्रमुख परियोजनाओं में 1 मंडलायुक्त कार्यालय भवन और 1 मंडलायुक्त आवास, 7 कलेक्ट्रेट कार्यालय, 3 जिलाधिकारी आवास, 20 तहसील कार्यालय भवन, 26 तहसील आवास भवन शामिल हैं।

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