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पहली बार गणतंत्र दिवस परेड में शामिल हुई बांग्लादेशी सेना की टुकड़ी

शामिल थे 1971 युद्ध में भाग लेने वाली `मुक्ति वाहिनी` के सैनिक

नई दिल्ली । देश आज गणतंत्रता दिवस मना रहा है। गणतंत्रता दिवस के मौके पर राजपथ पर होने वाली परेड में इस बार खास तौर पर पहली बार बांग्लादेश सेना की एक टुकड़ी भी शामिल हुई। बांग्लादेश सैन्य बलों की 122 टुकड़ी में उसकी सेना नौसेना और वायु सेना, तीनों के जवान और ऑफिसर शामिल हुए। इसके कमांडिंग कमांडर लेफ्टिनेंट कर्नल अबु मोहम्मद शाहनूर शॉनोन थे और उनके डिप्टी के रूप में लेफ्टिनेंट फरहान इशराक और फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिबत रहमान शामिल थे।

टुकड़ी में शामिल हैं आजाद की लड़ाई में भाग लेने वाली यूनिट्स के सैनिक
बांग्लादेश की इस टुकड़ी में 1971 में बांग्लादेश को आजाद कराने के लिए भाग लेने वाली यूनिट्स के सैनिक शामिल हैं। इस युद्ध में बहादुर मुक्ति वाहिनी और भारतीय सेना ने दुश्मन के खिलाफ कंधे से कंधा मिलाकर जीत हासिल की थी। मुक्ति वाहिनी और भारतीय सैनिकों का खून बांग्लादेश की मिट्टी और पानी में रमा हुआ है। यह एक ऐसा बॉन्ड है जैसा इतिहास में कोई दूसरा देखने को नहीं मिलता।

बांग्लादेश सशस्त्र बलों की तीनों सेनाओं ने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध में अपने देश के लिए स्वतंत्रता हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बटालियन 1,2,3,4,8,9, 10 और 11 ईस्ट बंगाल रेजिमेंट और 1,2 3 फील्ड रेजिमेंट आर्टिलरी ने लिबरेशन युद्ध में भाग लिया था जिसके सैनिकों ने आज की परेड में मार्च किया।

दोनों देशों के राजनयिक के पूरे हो रहे 50 साल
लेफ्टिनेंट कर्नल बनजीर अहमद की लीडरशीप वाले मार्चिंग बैंड ने `शोनो एकती मुजीबुर-अर थेके लोखो मुजीबुर` जैसा जागृति वाला सॉन्ग बजाया है, जिसका अर्थ है `सुनो, मुजीबुर की आवाज सुनो, जिनके हजारों फॉलोअर्स है।` अहमद के अनुसार, सैनिक हमारे दोनों देशों के बीच दोस्ती की लौ के मशाल वाहक हैं। वे हमें 1971 की पीढ़ी के साथ जोड़ते हैं। हम गणतंत्र दिवस परेड में पहली बार उन्हें सम्मानित करते हैं, क्योंकि भारत और बांग्लादेश अपने राजनयिक संबंधों की स्थापना के 50 वर्ष मना रहे हैं और बांग्लादेश की आजादी के भी 50 साल हो रहे हैं।

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