Astrology & Religion

नियुक्ति विवाद पर अविमुक्तेश्वरानंद बोले- अखाड़ों के नियम अखाड़ों में चलेंगे

नरसिंहपुर । अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने ज्योतिष पीठ के नए शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के पट्टाभिषेक को एक दिन पहले अमान्य ठहराया था। नियुक्ति संबंधी विवाद पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि अखाड़ों के नियम अखाड़ों में चलेंगे। उनकी नियुक्ति विधि सम्मत हुई है।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने शनिवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि देश में सभी को अभिव्यक्ति का अधिकार है। जहां तक नियुक्ति का सवाल है, तो वह विधि सम्मत है। शंकराचार्य जी के मठ की जो प्रक्रिया है, वह मठों के लोगों को पता है। अखाड़ों की प्रक्रिया को अखाड़े से जुड़े लोग जानते हैं। ऐसा नहीं होगा कि अखाड़ों की प्रक्रिया ही शंकराचार्य जी के मठ में भी लागू हो। हमारे यहां सब शास्त्र और परंपराओं के अनुसार हुआ है।

दरअसल, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने निरंजनी अखाड़े में शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए नए शंकाराचार्य की नियुक्ति को परंपरा और शास्त्र के विपरीत बताया था। उन्होंने कहा कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के देहावसान के अगले दिन ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य की नियुक्ति हुई है, यह गलत है। शंकराचार्य की नियुक्ति जिसने भी की है, उनको कोई अधिकार नहीं है। संन्यासी अखाड़ों की उपस्थिति में शंकराचार्य की घोषणा होती है।

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज का षोडशी भंडारा व अन्य सनातनी परंपरा अभी पूरी भी नहीं हुई थी कि इसी बीच में शंकराचार्य पद की घोषणा कर दी गई। यह सनातन परंपरांओं के विरुद्ध है। उन्होंने कहा कि संन्यासी अखाड़ों की गैर-मौजूदगी में इस पद पर नियुक्ति नहीं दी जा सकती।मीडिया द्वारा शनिवार को इस बारे में स्वामी अविमुक्तेश्वर से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को विचार व्यक्त करने का अधिकार है। हमारे यहां जो भी हुआ है, वह शास्त्र और परंपराओं के अनुसार हुआ है। नियुक्ति भी विधि सम्मत हुई है।

उल्लेखनीय है कि द्वारका-शारदा, ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य जगतगुरु स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का 11 सितंबर को ब्रह्मलीन हो गए थे। इसके बाद दोनों पीठों पर उनके उत्तराधिकारी के तौर पर द्वारका-शारदा पीठ पर स्वामी सदानंद महाराज को और ज्योतिष पीठ पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज को शंकराचार्य घोषित किया गया था। घोषणा के समय यह कहा गया था कि स्वामीजी ने पहले से ही यह नाम तय कर दिए थे।(हि.स.)

VARANASI TRAVEL
SHREYAN FIRE TRAINING INSTITUTE VARANASI

Related Articles

Back to top button
%d bloggers like this: