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औरंगजेब ने विश्वेश्वर मंदिर गिराने का आदेश दिया, मस्जिद बनाने का नहीं

वाराणसी के विश्वेश्वर नाथ मंदिर-मस्जिद विवाद मामले में सुनवाई जारी

प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट में वाराणसी के विश्वेश्वर नाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले में बुधवार को सुनवाई जारी रही। मंदिर पक्ष की ओर से रिकॉर्ड और तथ्य पेश किए गए। कहा गया कि मध्यकाल में औरंगजेब ने विश्वनाथ मंदिर के ध्वस्तीकरण का आदेश तो दिया था लेकिन वहां मस्जिद बनाने का कोई फरमान नहीं दिया था। इसलिए वहां मस्जिद बनाना गलत था।

अंजुमन-ए-इंतजामियां मस्जिद कमेटी और सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से दाखिल याचिकाओं पर जस्टिस प्रकाश पडिया की एकल पीठ सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान बुधवार को केवल मंदिर पक्ष की ओर से अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने अपने तर्क प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि पुराने अभिलेखों को देखने पर यह साफ है कि मंदिर तो अनादिकाल की है। उसके चारों तरफ बनाई गई बाउंड्री भी हजारों साल पुरानी है। अधिवक्ता रस्तोगी ने कहा कि पूर्व साम्राज्य में गलतियां की गई है।

जबरदस्ती विश्वनाथ मंदिर को तोड़ा गया है। उसे वर्तमान सरकार अगर पहचान देती है तो अदालतें उन गलतियों के संबंध में संज्ञान लेकर उपचार का आदेश दे सकती है। कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी अपनी पूर्णपीठ के आदेशों में कहा है कि अगर पूर्व साम्राज्य के समय में हुई गलतियों को वर्तमान सरकार समझती है और उसे मान लेती है तो उसे सुधारा जा सकता है।

राम जन्मभूमि विवाद मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा ही सुझाव दिया था और इस मामले में भी ऐसा ही हो सकता है। कहा गया कि 1936 में दीन मोहम्मद के केस में अंग्रेजों ने जो लिखित बयान दिया था उसमें हिंदुओं के अधिकारों को माना था और विश्वनाथ मंदिर को मंदिर एक्ट की श्रेणी में रखा गया है। कोर्ट ने मंदिर पक्ष की बहस को सुनने के बाद मामले की सुनवाई के लिए शुक्रवार को पुनः सुनवाई जारी रखने का निर्णय लिया है। उस दिन अंजुमन-ए इंतजामियां मस्जिद कमेटी और सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से बहस की जाएगी।(हि.स.)

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