हर तरह की चुनौती से निपटने के लिए तैयार रहे सेना: राजनाथ
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना के शीर्ष नेतृत्व को गैर परंपरागत और आतंकवाद जैसे परोक्ष युद्ध सहित सभी तरह की चुनौतियों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार रहने को कहा है।श्री सिंह ने पिछले चार दिनों से यहां चल रहे सेना के शीर्ष कमांडरों के सम्मेलन को गुरुवार को संबोधित करते हुए सेना की संचालन तैयारियों तथा निरंतर बढ़ती क्षमता की सराहना की। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के कारण उत्पन्न स्थिति का उल्लेख करते हुए उन्होंने जोर दिया कि इस जटिल परिस्थिति से पूरा विश्व प्रभावित है। उन्होंने कहा ,” हाइब्रिड सहित गैर परंपरागत और परोक्ष युद्ध भविष्य की लड़ाई यों का हिस्सा रहेगा। साइबर ,सूचना, संचार, व्यापार और वित्त ये सभी भविष्य के संघर्षों का अटूट हिस्सा बन गए हैं। इसलिए यह जरूरी हो गया है कि सशस्त्र सेनाओं को भविष्य की रणनीति बनाते हुए इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखना होगा।”
उत्तरी सीमा पर मौजूदा स्थिति का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि हमारे सैनिक सीमा पर मजबूती के साथ डटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान के लिए बातचीत जारी रहेगी , टकराव की जगह से सैनिकों को पीछे हटाना तथा तनाव कम करना समाधान की दिशा में अच्छा कदम है।सीमाओं की रक्षा में पूरी तत्परता के साथ डटे सैनिकों के प्रति समूचे राष्ट्र की ओर से आभार प्रकट करते हुए उन्होंने कहा की प्रतिकूल परिस्थितियों में तैनात सैनिकों को बेहतर हथियार , उपकरण और अन्य साजो सामान उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता है।उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों में ढांचागत सुविधाओं के विकास में सीमा सड़क संगठन के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि इससे पश्चिमी तथा उत्तरी सीमाओं पर सड़क संपर्क तथा संचार की सुविधाएं बढ़ी है।
पश्चिमी सीमा की स्थिति का उल्लेख करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि वहां दुश्मन द्वारा छद्म युद्ध की नापाक हरकत जारी है लेकिन सेना ने सीमा पार आतंकवाद का करारा जवाब देते हुए इन हरकतों को विफल किया है। उन्होंने कहा कि वह जम्मू कश्मीर में आतंकवाद की समस्या से निपटने में केंद्रीय पुलिस बलों, राज्य पुलिस और सेना के बीच तालमेल की सराहना करते हैं। तालमेल के आधार पर चलाए जा रहे अभियानों से जम्मू कश्मीर में स्थिरता तथा शांति की स्थिति बनी है और इस दिशा में कदम रुकने नहीं चाहिए।श्री सिंह ने कहा कि सरकार सैनिकों की युद्धक क्षमता बढ़ाने तथा उनके लिए कल्याणकारी योजनाएं सुनिश्चित करने के लिए निरंतर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत योजना रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम है और इसके माध्यम से घरेलू उद्योग को सेनाओं की भविष्य की जरूरतों को पूरा करने का मौका मिला है।
सेना के शीर्ष कमांडरों का सम्मेलन वर्ष में दो बार अप्रैल तथा अक्टूबर में होता है और इस सम्मेलन में सेना की संचालन तैयारियों से लेकर भविष्य की रणनीतियों पर विस्तार से गहन विचार विमर्श किया जाता है। इस विचार विमर्श के आधार पर ही सेना से संबंधित नीतिगत निर्णय लिए जाते हैं।
राजनाथ ने अमेरिकी कंपनियों से रक्षा क्षेत्र में भारत के साथ साझेदारी करने को कहा
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिकी कंपनियों से क्रेता और विक्रेता के संबंधों को पीछे छोड़ रक्षा क्षेत्र में भारतीय कंपनियों के साथ साझेदारी करने की अपील की है।श्री सिंह ने गुरुवार को यहां भारत में अमेरिकी वाणिज्य चैम्बर (एमचैम इंडिया) के सदस्यों को वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के जरिए संस्था की 30 वीं वार्षिक आमसभा के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के जरिए संबोधित किया। उन्होंने अमेरिकी कंपनियों को सरकार द्वारा की गई नीतिगत पहलों का लाभ उठाने तथा ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ के विजन को साकार करने के लिए भारत में रक्षा उपकरणों के संयुक्त अनुसंधान एवं विकास, विनिर्माण तथा रखरखाव करने के लिए आमंत्रित किया । उन्होंने अमेरिकी कंपनियों को भारत में सह-उत्पादन, सह-विकास, निवेश संवर्धन तथा रखरखाव एवं मरम्मत संबंधी ओवरहॉल सुविधाओं के लिए मिलकर काम करने के लिए आमंत्रित किया।
रक्षा मंत्री ने कहा कि हाल ही में कुछ अमेरिकी कंपनियों ने अपनी भारतीय सहयोगी कंपनियों के साथ साझेदारी को और आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है जो सराहनीय है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि बढ़ते व्यवसाय के साथ अमेरिकी कंपनियां बड़े स्तर पर भारत में निवेश करेंगी। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका की कंपनियों को स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने तथा एक दूसरे की रक्षा आपूर्ति श्रंखला में सहभागिता बढ़ाने की दिशा तेजी से काम करना चाहिए। उन्होंने भारत में विनिर्माण सुविधाओं की स्थापना करने के लिए अमेरिकी कंपनियों का स्वागत किया।श्री सिंह ने प्रमुख मूल उपकरण विनिर्माता कंपनी (ओईएम) तथा भारतीय कंपनियों के बीच साझीदारियों को सुगम बनाने के लिए सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहलों का उल्लेख भी किया। उन्होंने कहा, ” एफडीआई सीमा में बढ़ोतरी से लेकर व्यवसाय की सुगमता में सुधार लाने तथा आईडेक्स प्लेटफॉर्म के जरिए नवोन्मेषण को प्रोत्साहित करने से लेकर भारत में विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए संवर्धित सकारात्मक सूची को प्रोत्साहित करने तक, सरकार का ध्यान पूरी तरह भारत स्थित कंपनियों तथा संयुक्त उद्यमों द्वारा रक्षा विनिर्माण और निर्यात बढ़ाने पर केन्द्रित है।”
रक्षा मंत्री ने कहा, ” रणनीतिक समन्वय के संदर्भ में भारत और अमेरिका लोकतंत्र तथा कानून के शासन के प्रति वचनबद्ध हैं। हमारे रणनीतिक हितों में समन्वय बढ़ रहा है क्योंकि दोनों ही देश ऐसी नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था चाहते हैं जो संप्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा करती है, लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखती है तथा सभी के लिए शांति एवं समृद्धि को बढ़ावा देती है। भारत और अमरीका दोनों मुक्त, खुले, समावेशी तथा नियम आधारित हिंद-प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र के पक्षधर है। भारत अमेरिका व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझीदारी अंतरराष्ट्रीय शांति, स्थिरता एवं समृद्धि के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। “एमचैम-इंडिया भारत में काम करने वाले अमेरिकी व्यावसायिक संगठनों का संघ है और 1992 में स्थापित किए जाने के बाद इसकी सदस्य कंपनियों की संख्या 400 से अधिक हो गई हैं। इसका मुख्य उद्देश्य भारत में अमेरिकी कंपनियों के निवेश तथा द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाना है।