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बिहार में सूर्योपासना के महापर्व कार्तिक छठ पर डूबते सूर्य को अर्घ्य

बिहार में सूर्योपासना के महापर्व कार्तिक छठ पर डूबते सूर्य को अर्घ्य

सूर्योपासना के महापर्व कार्तिक छठ पर डूबते सूर्य को अर्घ्य

पटना : बिहार में सूर्योपासना के महापर्व कार्तिक छठ के अवसर पर आज व्रतधारियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को नदी और तालाब में खड़े होकर प्रथम अर्घ्य अर्पित किया।गंगा नदी में हजारों महिला और पुरुष व्रतधारियों ने डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। इस अवसर पर लाखों लोगों ने पवित्र गंगा नदी में स्नान भी किया। सुबह से ही आज गंगा नदी की ओर जाने वाले सभी मार्ग छठ व्रत एवं सूर्य आराधना के भक्तिपूर्ण एवं कर्णप्रिय गीतों से गुंजायमान रहे।पटना जिला प्रशासन ने गंगा नदी के घाटों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये हैं।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को लोगों को छठ पर्व के संध्या अर्घ्य की शुभकामनाएं प्रेषित की।श्री मोदी ने इस अवसर पर शुभकामना संदेश में कहा, “छठ के संध्या अर्घ्य के पावन-पुनीत अवसर पर आप सभी को मेरी असीम शुभकामनाएं।”प्रधानमंत्री ने कहा है, “सादगी, संयम, संकल्प और समर्पण का प्रतीक यह महापर्व हर किसी के जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य लेकर आए। जय छठी मइया।”

प्रशासन की ओर से गंगा नदी में नौका के परिचालन पर भी कल दोपहर तक के लिए रोक लगा दी गयी है। छठ घाटों पर पटाखे छोड़ने पर भी प्रतिबंध है। छठ व्रतियों के लिये गंगा घाटों को साफ-सुथरा किया गया है और विशेष रूप से सजाया भी गया है। इसके साथ ही गंगा नदी की ओर जाने वाले मार्गों पर तोरण द्वारा बनाये गये हैं और पूरे मार्ग को रंगीन बल्बों से सजाया गया है।बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने सरकारी आवास में छठ पर्व मनाया है,जहां पूजा के लिये एक छोटे तालाब का निर्माण कराया गया है ।नीतीश ने परिवार के साथ की छठ पूजा की।बिहार के औरंगाबाद जिले के ऐतिहासिक तथा धार्मिक स्थल देव के पवित्र सूर्य कुंड में लाखो की संख्या में व्रतधारियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। देव का पूरा इलाका छठी मैया के भक्तिपूर्ण और कर्णप्रिय गीतों से गुंजायमान है।

श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए औरंगाबाद जिला प्रशासन की ओर से बिजली , पानी स्वास्थ्य सुरक्षा परिवहन आवासन आदि के बेहतर प्रबंध किए गए हैं। पूरे मेला क्षेत्र और मंदिर परिसर में सुरक्षा के दृष्टिकोण से बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है । जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री और पुलिस अधीक्षक अंबरीष राहुल मेला क्षेत्र में कैंप किये हुए हैं। देश के विभिन्न राज्यों और बिहार – झारखंड के कोने-कोने से अब तक करीब दस लाख श्रद्धालुओं के देव पहुंचने का अनुमान है।लोक मान्यता है कि देव में छठ व्रत करने से इस अवसर पर भगवान सूर्यदेव की साक्षात उपस्थित की रोमांचक अनुभूति होती है और यहां के पौराणिक सूर्यकुंड में अर्घ्य अर्पित करने से मनोवांछित कामनाओं की पूर्ति होती है ।गया से प्राप्त सूचना के अनुसार लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा को लेकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए पौराणिक सूर्यकुंड में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी।

दोपहर बाद से ही श्रद्धालु अपने परिजनों के साथ सूर्यकुंड एवं फल्गु नदी के विभिन्न घाटों पर पहुंचने लगे। पौराणिक मान्यता के अनुसार छठ पूजा के तीसरे दिन संध्या पहर में शहर के ऐतिहासिक सूर्यकुंड में अर्घ्य देने का प्रावधान है। इसे लेकर शहर के विभिन्न हिस्सों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु सूर्यकुंड पहुंचे और भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया।श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे। जगह-जगह पुलिस बल की तैनाती की गई थी। सूर्यकुंड पहुंचने के रास्ते में कहीं कोई परेशानी ना हो, इसके लिए सुरक्षा बलों को तैनात किया गया था।इसके अलावा सूर्यकुंड के प्रांगण में राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की टीम को तैनात किया गया था, जिससे कहीं किसी तरह की अनहोनी होने पर उससे निपटा जा सके।

श्रद्धालुओं ने पूरे भक्ति भाव से भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया ।पारिवारिक और शारीरिक सुख-शांति के लिए मनाये जाने वाले इस महापर्व के चौथे दिन कल व्रतधारी फिर नदियों और तालाबों में खड़े हो कर उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देंगे। दूसरा अर्घ्य अर्पित करने के बाद ही श्रद्धालुओं को 36 घंटे का निराहार व्रत समाप्त होगा और वे अन्न ग्रहण करेंगे।गौरतलब है कि चार दिवसीय यह महापर्व नहाय खाय से शुरू होता और उस दिन श्रद्धालु नदियों और तलाबों में स्नान करने के बाद शुद्ध घी में बना अरवा चावल का भोजन ग्रहण करते हैं।

इस महापर्व के दूसरे दिन श्रद्धालु दिन भर बिना जलग्रहण किये उपवास रखने के बाद सूर्यास्त होने पर पूजा करते हैं और उसके बाद एक बार ही दूध और गुड़ से बनी खीर खाते हैं तथा जब तक चांद नजर आये तब तक पानी पीते हैं और उसके बाद से उनका करीब 36 घंटे का निराहार व्रत शुरू होता है। (वार्ता)

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