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देश के सुरक्षा ढांचे को मजबूती देने के लिए एक और बड़ा कदम, रक्षा सुधारों के लिए सरकार ने सशस्त्र बलों की वित्तीय शक्तियां और बढ़ाईं

देश के सुरक्षा ढांचे को मजबूती देने के लिए एक और बड़ा कदम,

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को सशस्त्र बलों की वित्तीय शक्तियों को और बढ़ाने की मंजूरी दे दी है। यानि देश के सुरक्षा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए रक्षा सुधारों में सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है। साफ है कि सरकार के इस कदम का मकसद सेनाओं के फील्ड कमांडरों और उससे नीचे के अधिकारियों को तत्काल परिचालन जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने स्तर पर युद्ध उपकरण खरीदने के लिए मजबूत बनाना है।

तीनों सेनाओं के उप प्रमुखों के वित्तीय अधिकार 10% तक बढ़ाए गए

गौरतलब हो ‘आत्मनिर्भर भारत’ के अनुरूप स्वदेशीकरण, अनुसंधान और विकास से संबंधित कार्यों के लिए मौजूदा शक्तियों में तीन गुना तक वृद्धि को मंजूरी दी गई है। इस संबंध में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को नई दिल्ली में रक्षा सेवाओं के लिए वित्तीय शक्तियां देने को मंजूरी दे दी, जिससे सशस्त्र बलों के फील्ड कमांडर और उससे नीचे के अधिकारी अपने स्तर पर युद्ध उपकरण की खरीद कर सकेंगे। इससे क्षेत्रीय संरचनाओं को सशक्त बनाकर परिचालन तैयारियों पर ध्यान देने के साथ ही तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बढ़ेगा। इससे सभी निचले स्तरों पर त्वरित निर्णय लेने के साथ ही सेनाओं की बेहतर योजना बनाकर संचालन की तैयारी तेज गति से होगी और संसाधनों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग किया जा सकेगा। सक्षम वित्तीय प्राधिकारियों के लिए दो गुना तक की सामान्य वृद्धि को मंजूरी दी गई है। तीनों सेनाओं के उप प्रमुखों की वित्तीय शक्तियों में 10 प्रतिशत की वृद्धि की गई है, जिसकी अधिकतम सीमा 500 करोड़ रुपये तक है।

स्वदेशीकरण और अनुसंधान एवं विकास में तीन गुना तक वृद्धि की गई

सक्षम वित्तीय प्राधिकरणों (सीएफए) के लिए दो गुना तक की सामान्य वृद्धि को मंजूरी दी गई है। कुछ क्षेत्रीय संरचनाओं में यह वृद्धि परिचालन आवश्यकताओं के कारण 5-10 गुना तक की सीमा में है। सीएफए के रूप में चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीआईएससी) के अध्यक्ष के लिए एकीकृत रक्षा स्टाफ के प्रमुख की वित्तीय शक्तियों को काफी हद तक बढ़ाया गया है और सेवाओं के उप प्रमुखों के साथ गठबंधन किया गया है। अब कमांड स्तर से नीचे की फील्ड संरचनाओं के लिए आपातकालीन वित्तीय शक्तियों का प्रावधान किया गया है, जो अभी तक उप प्रमुखों और कमांड-इन-चीफ या इसके समकक्ष अधिकारियों के लिए उपलब्ध था। ‘आत्मनिर्भर भारत’ के अनुरूप स्वदेशीकरण, अनुसंधान और विकास से संबंधित कार्यों के लिए मौजूदा शक्तियों में तीन गुना तक वृद्धि को मंजूरी दी गई है।

देश की सुरक्षा व्यवस्था को हर तरह से मिलेगी मजबूती

रक्षा मंत्री सिंह ने सरकार के इस फैसले को देश के सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने के लिए रक्षा सुधारों की श्रृंखला में एक और बड़ा कदम बताया। उन्होंने सशस्त्र बलों की जरूरतों को पूरा करने के लिए नीतियों में संशोधन की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह न केवल प्रक्रियात्मक देरी को दूर करेगा, बल्कि अधिक विकेंद्रीकरण और परिचालन दक्षता भी लाएगा। राजनाथ सिंह ने देश की सुरक्षा व्यवस्था को हर तरह से मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने के सरकार के संकल्प को दोहराया। रक्षा मंत्री ने देश की सुरक्षा व्यवस्था को हर तरह से मजबूत और ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के सरकार के संकल्प को दोहराया। संसाधनों के अधिकतम उपयोग का आह्वान करते हुए उन्होंने सभी हितधारकों से सरकार के दृष्टिकोण को साकार करने में सहयोग करने का आह्वान किया।

इस मौके पर वित्तीय सलाहकार (रक्षा सेवाएं) संजीव मित्तल ने भी भरोसा जताया कि डीएफपीडीएस 2021 जमीनी स्तर तक व्यापार करने में आसानी की दिशा में अधिक प्रोत्साहन प्रदान करेगा और प्रत्यायोजित वित्तीय शक्तियों के संवर्धित हस्तांतरण के माध्यम से अधिक विकेंद्रीकरण की सुविधा प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि यह रक्षा सेवाओं की परिचालन तैयारियों को प्राप्त करने में अधिक दक्षता प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि डीएफपीडीएस 2021 सैन्य मामलों के विभाग और रक्षा विभाग के तत्वावधान में तीनों सेनाओं के बीच हुए व्यापक विचार-विमर्श के बाद यह आर्थिक शक्तियां दी गईं हैं। इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह, रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार और रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ नागरिक और सैन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।

 

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