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शाबास यूपी पुलिस-विकास दुबे का किया अंत लेकिन सरपरस्त आकाओं का भी बेनकाब हो चेहरा

पत्रकार जयशंकर गुप्ता की त्वरित टिप्पणी....

शाबास यूपी पुलिस.’ आपने अटकलों को साकार करते हुए दुर्दांत अपराधी विकास दुबे को ठिकाने लगा दिया. मुझ जैसे कुछ लोग गलत सोच रहे थे कि महाकाल के मंदिर में उसके ‘सरेंडर’ को लेकर भारी होहल्ला मचने के बाद उसका ‘एनकाउंटर नहीं होगा. थोड़ा शक उस समय जरूर हुआ था जब उसे विमान से कानपुर ले जाने का फैसला बदलकर कार से ले जाना तय हुआ था. लेकिन उसे मारने के लिए आपने वही घिसीपिटी, कमजोर फिल्मी पटकथा दोहराई! जिसे फिल्मी पर्दे पर देखते हुए मजा आता है और हंसी भी. ध्यान रहे , इस प्रकरण में जिस जिस का एनकाउंटर हुआ, तकरीबन सभी आपकी पकड़ में थे और भागने के फेर में मारे गये! बधाई!
विकास दुबे से हमें कोई, रत्तीभर भी सहानुभूति नहीं. वह दुर्दांत अपराधी और हत्यारा था. उसे उसके किए की सजा मिलनी ही चाहिए थी. लेकिन उसे रास्ते में भागना होता तो वह उज्जैन जाकर ‘सरेंडर’ ही क्यों करता! अच्छा है अब यूपी से लेकर मध्यप्रदेश तक पुलिस-प्रशासन और राजनीति में उसके सरपरस्तों के नाम दबे रहेंगे. लेकिन हुजूर कभी कभार लाशें और उनसे जुड़ी सत्यकथाएं भी सच सामने लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं!

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