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पूरा पाकिस्तान और आधे चीन को अपनी जद में लेने में सक्षम है अग्नि-4 मिसाइल

चार हजार किमी. रेंज वाली मिसाइल का प्रक्षेपण करके भारत ने दुनिया को दिखाई एयरोस्पेश की ताकत.एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-4 का किया सफल परीक्षण.

नई दिल्ली । भारत ने सोमवार को ओडिशा के एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से इंटरमीडिएट रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-4 का सफल प्रक्षेपण करके एयरोस्पेस की दुनिया में एक और कामयाबी हासिल की। इस मिसाइल की रेंज चार हजार किलोमीटर है। यानी इसकी जद में पूरा पाकिस्तान और लगभग आधा चीन आता है।

सामरिक बल कमान की निगरानी में किए गए नियमित उपयोगकर्ता प्रशिक्षण लॉन्च ने सभी परिचालन मापदंडों के साथ-साथ सिस्टम की विश्वसनीयता को भी मान्य किया। इस सफल से भारत की ‘विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोध’ क्षमता रखने की नीति पुष्ट हुई है। पूर्वी तट पर स्थित विभिन्न टेलीमेट्री और राडार स्टेशनों ने मिसाइल पर नजर रखी।

मिसाइल ने सभी मानकों को पूरा करते हुए टारगेट पर सटीकता से निशाना साधा। इस दौरान मिसाइल की तकनीकी, हमलावर टेक्नीक, नेविगेशन आदि मानकों की जांच की गई। परीक्षण के बाद स्ट्रैटेजिक फोर्स कमांड ने अपने बयान में कहा कि यह एक रूटीन ट्रेनिंग लॉन्च थी, जिसमें सारे ऑपरेशनल पैरामीटर्स की फिर से जांच की गई है। भारत ने यह सफल परीक्षण करके एक बार फिर इस बात की पुष्टि की है कि वह अपने विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोध क्षमता को बनाए रखेगा।

‘आत्मनिर्भर भारत’ को बढ़ावा देने के लिए 76,390 करोड़ रुपये के रक्षा सौदों को मंजूरी

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) ने सोमवार को एक बैठक में सशस्त्र बलों के लिए 76,390 करोड़ रुपये के प्रस्तावों को मंजूरी दी है। इससे भारतीय रक्षा उद्योग को पर्याप्त बढ़ावा मिलेगा और विदेशी खर्च में मुख्य रूप से कमी आएगी।रक्षा खरीद परिषद ने स्वदेशी डिजाइन और विकास पर जोर देने के साथ ही घरेलू स्रोतों के माध्यम से भारतीय सेना के लिए रफ टेरेन फोर्क लिफ्ट ट्रक (आरटीएफएलटी), ब्रिज लेइंग टैंक (बीएलटी), व्हीलड आर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल्स (डब्ल्यूएच एएफवी) के अतिरिक्त एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम) और वेपन लोकेटिंग रडार (डब्ल्यूएलआर) की खरीद के लिए नए एओएन को स्वीकृति प्रदान की।

भारतीय नौसेना के लिए डीएसी ने लगभग 36,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर अगली पीढ़ी के कार्वेट (एनजीसी) की खरीद के लिए एओएन को मंजूरी दी। ये एनजीसी निगरानी मिशन, एस्कॉर्ट ऑपरेशन, डिटरेंस, सर्फेस एक्शन ग्रुप (एसएजी) ऑपरेशंस, तलाश एवं आक्रमण और तटीय सुरक्षा जैसी विभिन्न भूमिकाओं के लिए बहुउद्देश्यीय प्लेटफॉर्म साबित होंगे। इन एनजीसी का निर्माण भारतीय नौसेना के नए इन-हाउस डिजाइन के आधार पर जहाज निर्माण की नवीनतम तकनीक का उपयोग करके किया जाएगा।

डीएसी ने विशेष रूप से स्वदेशी एयरो-इंजन सामग्री में स्वदेशीकरण को बढ़ाने पर ध्यान देने के साथ नवरत्न सीपीएसई हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने डोर्नियर एयरक्राफ्ट और एसयू -30 एमकेआई एयरो-इंजन के निर्माण के लिए एओएन प्रदान किया।

रक्षा क्षेत्र में डिजिटल परिवर्तन के लिए सरकार के दृष्टिकोण के अनुसरण में ‘खरीदें (भारतीय) श्रेणी’ के तहत ‘डिजिटल तटरक्षक’ परियोजना को डीएसी ने अनुमोदित किया है। इस परियोजना के तहत, तटरक्षक बल में विभिन्न सतही और विमानन संचालन, रसद, वित्त एवं मानव संसाधन प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण के लिए एक अखिल भारतीय सुरक्षित नेटवर्क स्थापित किया जाएगा।(हि.स.)।

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