नई दिल्ली । दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि उनकी पार्टी आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस से कोई गठबंधन नहीं करेगी। केजरीवाल ने स्पष्ट किया कि AAP दिल्ली में अकेले ही चुनाव लड़ेगी। AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने आगामी दिल्ली चुनावों के लिए कांग्रेस के साथ संभावित गठबंधन पर स्रोत-आधारित इनपुट से इनकार किया। केजीरवाल ने ट्वीट कर कहा , आम आदमी पार्टी दिल्ली में यह चुनाव अपने दम पर लड़ेगी। कांग्रेस के साथ गठबंधन की कोई संभावना नहीं है।
दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अप्रैल-मई में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच चुनावी गठबंधन हुआ था. गठबंधन के तहत आम आदमी पार्टी के खाते में 4 सीटें गईं जबकि 3 सीटों पर कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार उतारे. हालांकि चुनाव में इस गठबंधन को कोई फायदा नहीं हुआ. दिल्ली की सभी 7 सीटों पर गठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा. सभी 7 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा हो गया. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं, ऐसे में दिल्ली के चुनाव में मिलकर चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही थी. लेकिन अब केजरीवाल के खंडन के बाद दोनों राष्ट्रीय दलों के मिलकर चुनाव लड़ने की संभावना खत्म हो चुकी है.
राजधानी दिल्ली में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव कराए जाने हैं. चुनाव में मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच माना जा रहा है. 8 फरवरी 2020 को हुए चुनाव में आम आदमी पार्टी ने शानदार जीत हासिल करते हुए 70 में से 62 सीटों पर जीत हासिल की थी. भारतीय जनता पार्टी को 8 सीटों पर जीत मिली जबकि कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला था.
सीलमपुर के आप विधायक अब्दुल रहमान ने छोड़ी पार्टी
आम आदमी पार्टी के विधायक अब्दुल रहमान ने मंगलवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। सीलमपुर विधायक ने आप पर “मुसलमानों के अधिकारों की अनदेखी” का आरोप लगाया है।सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किए गए दो पन्नों के पत्र में अब्दुल रहमान ने कहा है कि वह आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं। उन्होंने लिखा, आज मैं आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं। पार्टी ने सत्ता की राजनीति में उलझकर मुसलमानों के अधिकारों को नजरअंदाज किया। अरविंद केजरीवाल ने हमेशा जनता के मुद्दों से भागकर अपनी राजनीति की। इंसाफ और हक की लड़ाई लड़ता रहूंगा।
अब्दुल रहमान का आप से इस्तीफा पार्टी के लिए एक झटका माना जा रहा है। उनके निर्वाचन क्षेत्र सीलमपुर में मुस्लिम मतदाता काफी संख्या में हैं। ऐसे में पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर असर पड़ सकता है।आप छोड़ने का उनका फैसला 29 अक्टूबर को अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के करीब डेढ़ महीने बाद आया है। उस समय रहमान ने आप संयोजक अरविंद केजरीवाल द्वारा दिल्ली कांग्रेस के दिग्गज नेता चौधरी मतीन अहमद के बेटे जुबैर अहमद और बहू शगुफ्ता को पार्टी में शामिल करने के कुछ ही मिनट बाद अपने पद छोड़ने के फैसले के बारे में सार्वजनिक रूप से बताने का फैसला किया था।
आप विधायक ने एक पोस्ट में कहा था, मैं आम आदमी पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहा हूं। मेरे विचारों में बढ़ते मतभेदों को देखते हुए मैंने यह फैसला लिया है। मुझे उम्मीद है कि पार्टी और मेरे समर्थक मेरे इस कदम को समझेंगे। दिल्ली विधानसभा का वर्तमान कार्यकाल 23 फरवरी 2025 को समाप्त होगा। साल 2020 के विधानसभा चुनावों में 70 सदस्यीय विधानसभा में आप ने 62 सीटें जीती थीं जबकि भाजपा ने आठ सीटें जीती थी। कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। (वीएनएस)
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