नियमित टीकाकरण पर फोकस बढ़ाने के लिए प्रशिक्षित की गयी’बीआरटी’
पांच साल में सात बार टीकाकरण का बताएं महत्व बताएं
महराजगंज। नियमित टीकाकरण पर फोकस बढ़ाने के लिए ब्लॉक रिस्पांस टीम ( बीआरटी) का प्रशिक्षण सम्पन्न हुआ।सदर सीएचसी सभागार में आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. राकेश कुमार ने कहा कि बीआरटी टीम के सभी स्वास्थ्य अधिकारी और कर्मचारी नियमित टीकाकरण पर फोकस बढ़ाएं। टीकाकरण के महत्व को बताएं। ताकि कोई भी पात्र बच्चा और गर्भवती टीकाकरण से वंचित न रहने पाएं। प्रशिक्षण की सार्थकता तभी सिद्ध होगी जब मिली जानकारी का लाभ लाभार्थियों को मिलें।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डाॅ.केपी सिंह ने कहा कि बच्चों को पोलियो, टीबी, पीलिया, दस्त, निमोनिया, गलागोटू, काली खांसी, टिटनेस, दिमागी बुखार, खसरा आदि बीमारियों से बचाने के लिए नियमित टीकाकरण जरूरी है। पांच साल में सात बार टीकाकरण कराने से बच्चों को उपरोक्त गंभीर बीमारियों से बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि नियमित टीकाकरण के बेहतर प्रबंधन एवं सुदृढ़ीकरण के लिए अनुक्षवण और मूल्यांकन जरूरी है। अनुक्षवण और मूल्यांकन के माध्यम से नियमित टीकाकरण पर फोकस बढ़ाया जा सकता है।
डिप्टी सीएमओ डाॅ.वीर विक्रम सिंह ने बताया कि लाभार्थियों को यह भी बताएं कि कौन टीका कब और कितने बार लगना है। किस टीके से क्या फायदा होता है। इसके बारे में ठीक से जानकारी रखें। टीका लगने के बाद बुखार या सूजन आना स्वाभाविक है। इससे घबराएं नहीं, यह एक या दो दिन में स्वतः ठीक हो जाता हैं । बच्चे को खांसी या जुकाम होने की स्थिति में भी टीकाकरण कराया जा सकता है।
यूनिसेफ के डीएमसी राहुल कुमार सिंह ने बताया कि छोटे बच्चों के शरीर में बीमारियों से लड़ने की ताकत कम होती है। टीके नहीं लग पाने की दशा में बीमारी होने का खतरा अधिक रहता है। कुछ बीमारियों उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर या दिव्यांग बना सकती है। बीमार पड़ने पर बच्चा तो परेशान होता ही है परिजनों को भी बच्चे के इलाज के लिए अस्पताल का चक्कर लगाना पड़ता है। बच्चों का टीकाकरण करा कर कई परेशानियों से बचा जा सकता है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में डाॅ.अखिलेश यादव, डाॅ. अंग्रेस सिंह, डाॅ.अमित विक्रम, डाॅ. प्रकाश चौधरी, डाॅ.मनोज, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी श्रीभागवत सिंह, बीपीएम सूर्य प्रताप सिंह, बीसीपीएम परमेश्वर शाही और लवली वर्मा प्रमुख रूप से मौजूद रहे।