बिल्थरारोड में आवास आवंटन फर्जीवाड़ा में सचिव समेत 12 पर मुकदमा दर्ज
बलिया: जनपद बलिया के बिल्थरारोड में आवास आवंटन में फर्जीवाड़ा करने एवं सरकारी धन का दुरुपयोग कर अपात्रों को लाभ पहुंचाने के आरोप में उभांव थाना में सीयर ब्लाक के तत्कालीन सचिव प्रमोद पांडेय पर नामजद मुकदमा दर्ज किया गया है। उक्त कार्रवाई उच्चाधिकारियों के निर्देश पर सीयर बीडीओ गजेंद्र प्रताप सिंह के लिखित तहरीर पर हुआ। इसकी पुष्टि करते हुए उभांव इंस्पेक्टर योगेंद्र बहादुर सिंह ने बताया कि बीडीओ के लिखित तहरीर पर भादवि की धारा 409, 419, 420, 467 व 468 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है।
मामले में सीयर ब्लाक के तत्कालीन सचिव प्रमोद पांडेय के अलावा तपेश्वर, गुजेश्वर, नागेश्वर समेत 12 नामजद बताएं जा रहे है। उक्त फर्जीवाड़ा के मुख्य आरोपी सीयर ब्लाक के तत्कालीन सचिव प्रमोद पांडेय वर्तमान में नगरा ब्लाक पर कार्यरत है। मामला 2012-13 एवं 2014-15 के बीच हुए इंदिरा आवास आवंटन में भारी गड़बड़ी का बताया जा रहा है। जिसे लेकर भीमपुरा थाना के शाहपुर टिटिहा गांव निवासी सिंहासन चैहान पिछले कई वर्ष से जांच व कार्रवाई की मांग कर रहे थे। सूचना का अधिकार के तहत मिली जानकारी के तहत सिंहासन चैहान ने उक्त मामले का खुलासा 2015 में ही किया था। मामले को एक अखबार ने 10 अप्रैल 2015 को मुर्दे के लिए भी सरकार बनवा रही इंदिरा आवास शिर्षक से खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था।
मामले में आरटीआई के तहत यह भी खुलासा हुआ कि उक्त फर्जीवाड़े में वैसे लोगों के नाम आवास आवंटन किया गया, जो आवास आवंटन के करीब एक दशक पूर्व ही मर चुके है। इसके लिए अधिकारियों ने बैंक को भी फर्जीवाड़ा में शामिल किया और फर्जी पहचानपत्र पर मरे हुए व्यक्तियों के नाम बैंक खाता भी खुआ और पैसा निकाल लिया गया है। जिसे लेकर भी एक अखबार में 4 मई 2018 को मुर्दों के नाम भी बैंक में खोले गए खाते! शीर्षक से खबर प्रकाशित हुआ था। इधर इसी मामले में लगातार एक पक्ष द्वारा जांच की मांग कर रहे सिंहासन चैहान पर दबाव आने लगा और उन्हें फर्जी मुकदमें में फंसाने का भी प्रयास हुआ तो सिंहासन चैहान ने पत्नी के साथ जिला मुख्यालय पर धरना भी दिया।
पूर्व में हुए जांच व उच्चाधिकारियों के निर्देश पर हुई कार्रवाईः बीडीओ
– सीयर ब्लाक के बीडीओ गजेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि आईजीआरएस पोर्टल पर मामले में लगातार हो रही जांच की मांग को लेकर उच्चाधिकारियों के निर्देश पर तत्कालीन बीडीओ ने रिपोर्ट तैयार किया था। जिनके रिपोर्ट के आधार पर ही दोषी के खिलाफ जिला मुख्यालय से मुकदमा दर्ज कराने का निर्देश मिला था। आरोपी ग्राम विकास अधिकारी प्रमोद पांडेय को पूर्व में प्रतिकूल प्रविष्टी दी जा चुकी थी और एक वर्ष तक उनके वेतन में वृद्धि पर भी रोक लगा दिया गया था।