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आज ही के दिन “गंभीर पारी, शानदार कप्तानी, और अनुभवी प्रदर्शन” के दम पर भारत बना था चैंपियन

मुंबई का वानखेड़े स्टेडियम, आज ही की तारीख थी, बस समय 2011 का था और फिर कुछ ऐसा हुआ कि रात में ही भारत के करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों ने जश्न मनाना शुरू कर दिया। यह एक ऐसा पल था जिसका इंतजार लाखों-करोड़ों भारतीयों ने करीब 28 साल तक किया। जो इंतजार क्रिकेट के वर्ल्ड कप जीतने का था, वो महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में सच हुआ, वो सचिन तेंदुलकर को उनके टीम के साथियों द्वारा कंधे पर उठाकर पूरे स्टेडियम में मनाये गए जश्न के साथ खत्म हुआ। जश्न के साथ-साथ क्रिकेट फैंस भावुक थे, मैदान पर भारतीय क्रिकेटरों की आंखों में भी आंसू थे। लेकिन इन आँसुओं के अंदर अगर कुछ बचा था, तो वह भारतीय टीम का जुझारुपन और कभी हार न मानने की वो हिम्मत, जिसने न सिर्फ भारत को विश्व चैंपियन बनाया, बल्कि भारत का डंका पूरे विश्व में बजा दिया।

भारत के लिहाज से 2 अप्रैल सिर्फ एक तारीख ही नहीं रही, स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाने वाला इतिहास बन गया। स्टेडियम से लेकर गली-मोहल्लों में टीवी के सामने बैठा जो भी दर्शक इस पल का साक्षी बना, उसने इतिहास को बनते देखा। भारत ने वर्ल्ड कप फाइनल में श्रीलंका को 10 गेंद शेष रहते 6 विकेट से हराया। आज भारत को विश्व कप जीते एक दशक पूरा हो गया और इन वर्षों में टीम इंडिया ने साबित कर दिया, कि क्यों वह क्रिकेट जगत की चैंपियन टीम है।

दो चैंपियन टीमों के बीच कांटे का मुकाबला

इस मैच में मुकाबला एकदम काटें का था, जहां एक तरफ संगकारा, जयवर्धने और दिलशान जैसे अनुभवी बल्लेबाज थे तो वहीं दूसरी तरफ सहवाग, सचिन, गंभीर की माहिर तिकड़ी थी। गेंदबाजी में जहां सनसनाती यॉर्कर फेंकने में माहिर लसिथ मलिंगा और चालक गेंदबाजी में माहिर थिसारा परेरा थे, वहीं दूसरी तरह अनुभवी लेफ्ट-आर्म-पेसर जहीर खान और विकेट निकाल कर देने में माहिर मुनाफ पटेल थे। स्पिन विभाग में जहां एक तरफ विश्व के टॉप क्वॉलिटी स्पिनर मुथैया मुरलीधरन थे, वहीं दूसरी तरफ टर्बनेटर हरभजन सिंह थे। दोनों ही टीमों का मध्यक्रम भी खासा संतुलित था।

श्रीलंका ने जीता टॉस, दिया अच्छा लक्ष्य

आज उस पल को 10 साल बीत चुके हैं लेकिन क्रिकेट प्रेमी शायद ही इसे कभी भुला पाएंगे। कुमार संगकारा की कप्तानी वाली श्रीलंकाई टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। भारतीय टीम में गेंदबाजी की कमान जहीर खान, हरभजन सिंह, मुनाफ पटेल और श्रीसंत के हाथ में थी, लेकिन श्रीलंकाई टीम ने 275 रन का सम्मानजनक टारगेट भारत को दिया। टीम के लिए माहेला जयवर्धने ने सबसे ज्यादा 103 रन बनाए और वह इस मैच में नाबाद लौटे।

ढाई घंटे तक क्रीज पर जमे रहे जयवर्धने

चौथे नंबर पर बल्लेबाजी को उतरे जयवर्धने ने 88 गेंदों की अपनी नाबाद पारी में 13 चौके लगाए वह करीब ढाई घंटे तक क्रीज पर जमे रहे। उनके अलावा कप्तान संगकारा ने 67 गेंदों की अपनी संयमित पारी में 5 चौकों की मदद से 48 रन बनाए। इन दोनों दिग्गजों ने तीसरे विकेट के लिए 62 रन जोड़े। फिर नुवान कुलसेकरा (32) के साथ छठे विकेट के लिए 66 रन की साझेदारी भी की। कुलसेकरा ने 30 गेंदों पर एक चौका और एक छक्का लगाया और वह पारी के 48वें ओवर की अंतिम गेंद पर टीम के 248 के स्कोर पर रन आउट हुए। भारत के लिए जहीर खान और युवराज सिंह ने 2-2 विकेट लिए जबकि हरभजन को एक विकेट मिला। इस मैच में सचिन, विराट समेत 7 गेंदबाजों को आजमाया गया।

भारत की खराब शुरुआत, सस्ते में लौटे दोनों ओपनर

275 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम की शुरुआत बेहद खराब रही और उसके दोनों दिग्गज ओपनर वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंदुलकर 31 रन तक पैवेलियन लौट चुके थे। सहवाग को पारी की दूसरी ही गेंद पर लसिथ मलिंगा ने आउट किया, जबकि सचिन को संगकारा के हाथों कैच करा दिया। इसके बाद विराट कोहली और गौतम गंभीर ने पारी को सजाया और स्कोर 114 रन तक पहुंचाया। विराट को 35 के निजी स्कोर पर दिलशान ने अपनी ही गेंद पर लपक लिया। विराट ने 49 गेंदों की अपनी पारी में चार चौके लगाए।

गौतम ने खेली “गंभीर” पारी

एक छोर से विकेट गिरने के बावजूद गौतम गंभीर डटे रहे और श्रीलंकाई गेंदबाजों की जमकर खबर लेते रहे। गंभीर ने विश्व के बेहतरीन स्पिनरों में शुमार मुथैया मुरलीधरन को बिल्कुल भी जमने नहीं दिया और उनपर लगातार आक्रामक रुख जारी रखा। गंभीर की इस पारी ने भारत को यह विश्वकप जीतने के बेहद करीब पहुंचाया। गंभीर ने कप्तान धोनी के साथ चौथे विकेट के लिए 109 रन जोड़े। गंभीर की इस मैराथन पारी ने ही भारत को शुरुआत से ही इस मैच में बनाये रखा।

गंभीर हुए आउट, धोनी ने लगाया विजयी शॉट

ऐसा लग रहा था कि यही दोनों बल्लेबाज जीत दिलाकर लौटेंगे और चमचमाती ट्रॉफी उठाएंगे लेकिन गंभीर को परेरा ने बोल्ड कर दिया, वह भी 97 के निजी स्कोर पर। करीब तीन घंटे तक क्रीज पर जमे रहे गंभीर ने 122 गेंदों का सामना किया और इस दौरान 9 चौके लगाए। फिर धोनी ने कुलसेकरा के ओवर की दूसरी गेंद पर सिक्स जमाकर 6 विकेट से जीत दिलाई। बस यही वो ग्लोबल सिक्स था, जो जैसे ही बाउंड्री के पार जाकर गिरा, करोड़ों क्रिकेटप्रेमी झूम उठे, जश्न मनाने लगे।

विश्व चैंपियन बना भारत, झूम उठा भारत

मैन ऑफ द मैच रहे धोनी ने 91 रन की नाबाद पारी खेली और उनका स्ट्राइक रेट 115 से ज्यादा का रहा। इस दौरान उन्होंने 8 चौके और 2 छक्के लगाए। मैन ऑफ द सीरीज युवराज सिंह को चुना गया।

सचिन को कंधों पर बैठाकर मनाया जश्न

एमएस धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने सचिन तेंदुलकर के विश्व चैंपियन बनने के सपने को पूरा किया। इस ऐतिहासिक जीत के बाद टीम इंडिया ने क्रिकेट के भगवान को कंधो पर बैठाकर स्टेडियम का चक्कर लगाया था।

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