छत्तीसगढ़ में कोरोना वैक्सीनेशन के लिए 2.5 करोड वैक्सीन की आवश्यकता, आपूर्ति कम : महाधिवक्ता
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता व शासकीय अधिवक्ता ने रखा राज्य का पक्ष। कहा- छत्तीसगढ़ में ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था, अब तक केंद्र से नहीं मिले वेंटिलेटर।
रायपुर । सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को राज्यों में कोरोना के गंभीर हालात को लेकर सुनवाई हुई। इसमें छत्तीसगढ़ सरकार ने कोविड पर राज्य का पक्ष रखा है। राज्य सरकार ने कहा कि प्रदेश में ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था है और इसमें सरप्लस है। वहीं 45 से ऊपर आयु के लोगों को 88 प्रतिशत वैक्सीनेशन किया जा चुका है एवं फ्रंट लाइन वर्कर को भी 93 प्रतिशत दूसरा डोज दिया जा चुका है। केंद्र सरकार से वेंटिलेटर की मांग की गई थी, लेकिन इसकी आपूर्ति नहीं हुई है। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष राज्य सरकार ने ये निम्न कथन प्रस्तुत किए-
यह कि छत्तीसगढ़ 388 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उत्पादन कर रहा है तथा यह आक्सीजन के मामले में आत्मनिर्भर एवं सरप्लस स्टेट है।
प्रदेश में वर्तमान में लगभग 200 मी.टन ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ रही है इसके अलावा प्रदेश में लिक्विड ऑक्सीजन रखने की क्षमता लगभग 5000 मी.टन है। जिसमें से 2100 मी.टन को सुरक्षित रख लिया गया है। साथ ही छत्तीसगढ़ ने केन्द्र सरकार से 20000 जम्बो सिलेंडर उनके पूर्व आश्वासन के अनुसार मांग कर लिया है तथा राज्य सरकार इसे स्वयं भी खरीद रही है एवं केन्द सरकार के माध्यम से खरीद रही है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ में 24 ऑक्सीजन उत्पादन की कड़ियां स्थापित है जो कार्यरत है।
प्रदेश में वर्तमान में कुल 14764 कोविड बेड उपलब्ध है जिसमें से 5294 शासन के है तथा 9470 कोविड बेड प्राइवेट हास्पिटल में एवं ये सभी बेड डेटिकेटेड हास्पिटल में है।
सरकार के कोविड सेंटर में उपलबध बेड की संख्या में से अधिकांश में ऑक्सीजन सप्लाई या तो कर दी गई है या कर दी जा रही है इसके अलावा राज्य सरकार लगातार कोविड हॉस्पिटल और बेड बढाने के प्रयास कर रही है। राज्य सरकार ने 12 अप्रैल को 285 वेंटिलेटर की मांग केन्द्र सरकार को भेज दी है, जिसकी आपूर्ति होनी है।
राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया है कि आवश्यक औषधियों के लिए उचित प्रयास किये जा रहे हैं, जिसेमें रेडमेसिविर के लिए केन्द्र सरकार से कोटे के अनुसार दवाईयां नहीं मिल पाना बताया गया है। यह भी बताया गया कि यहां 2.5 लाख रेडमेसिविर की आवश्यकता है उसकी तुलना में पिछले 10 दिनों में केवल 75000 डोज मिल पाये है।
राज्य सरकार ने यह भी बता दिया है कि आवश्यक औषधियों का वितरण केन्द्र सरकार द्वारा ही किया जाना है क्योंकि यह पेण्डमिक एक्ट क तहत केन्द्र सरकार के अंतर्गत आता है, इस संबंध में पत्राचार भी कर लिया गया है, परंतु दवाईयां उपलबध होने में समय है।
आवश्यक औषधी जैसे रेडमेसिविर के काला बाजारी को रोकने के लिए भी टास्क फोर्स बनाया गया है तथा आवश्यक एक-एक शीशी का हिसाब पेंशेट के नाम के साथ रखा जा रहा है।
वैक्सीनेशन के संबंध में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दिया है कि 45 से उपर आयु के उपर के लोगों को 88 प्रतिशत वैक्सीनेशन किया जा चुका है एवं फ्रंट लाइन वर्कर को भी 93 प्रतिशत दूसरा डोज दिया जा चुका है एवं छत्तीसगढ़ में वेक्सीनेशन करने वाला दूसरा राज्य बन चुका है, केन्द्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार। राज्य सरकार ने बताया है कि 18-44 आयु वर्ग के व्यक्तियों को वैक्सीन लगाने के लिए दवाईयों की मांग भेजी गई है परंतु भारत बायोटेक व सीरम इंस्टीट्यूट ने अभी तक दवाई उपलब्ध कराये जाने का कोई आश्वासन व तिथि नहीं बताया गया है।
राज्य सरकार ने यह भी बताया है कि इस आयु वर्ग के लिए 2.5 करोड वैक्सीन आवश्यकता है, जिसे उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। राज्य सरकार ने यह भी बताया कि वर्तमान में प्रदेश में 6823 वेक्सीनेटर उपलब्ध है तथा 5000 वैक्सीनेशन सेंटर है जिसमें वैक्सीनेशन किया जाएगा। साथ ही मुख्यमंत्री ने भी दवा निर्धारण के संबंध प्रधानमंत्री को लिख पत्र का हवाला भी जिसमें वैक्सीनेशन उपलब्ध कराने तथा रेट निर्धारण का उल्लेख है, इससे सुप्रीम को अवगत करा दिया गया है। साथ ही एपीएल और बीपीएल व सामान्य वर्ग के लोगों के लिए व्यवस्थाओं में सुधार की मांग भी केन्द्र सरकार से किया गया है तथा ग्रामीण अंचलों व गरीबों को तीव्र गति के साथ वैक्सीन लगाया जा सकें।
इन समस्त तथ्यों के साथ छत्तीसगढ़ सरकार ने अपना पक्ष सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत करवाया है। महाधिवक्ता, सुनील सोढी एवं शासकीय अधिवक्ता विक्रम शर्मा के द्वारा प्रस्तुत कर दिया गया है।