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आतंकि‍यों को समर्थन व सहायता देने वाले देशों को भी ठहराया जाए दोषी : नरेंद्र मोदी

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने उठाया आतंकवाद का मुद्दा

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक बार फिर आमने-सामने हैं। आज ब्रिक्स देशों की वर्चुअल शिखर बैठक है, जिसमें रूस, ब्राजील व दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपतियों के अलावा उक्त दोनो नेता भी हिस्सा ले रहे हैं। इसके पहले 10 नवंबर को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की वर्चुअल शिखर बैठक में भी मोदी और जिनपिंग उपस्थित थे और 21 व 22 नवंबर को समूह-20 की बैठक में भी दोनों वर्चुअल मंच साझा करेंगे। हालांकि इन नेताओं के बीच एलएसी पर चल रहे सैन्य तनाव के मद्देनजर किसी विमर्श की गुंजाइश नहीं है।

पीएम मोदी ने कहा, 2021 में ब्रिक्‍स के 15 वर्ष पूरे हो जाएंगे। पिछले सालों में हमारे बीच लिए गए विभिन्न निर्णयों का मूल्यांकन करने के लिए हमारे शेरपा एक रिपोर्ट बना सकते हैं। 2021 में अपनी अध्यक्षता के दौरान हम ब्रिक्‍स के तीनों स्तंभों में intra-BRICS सहयोग को मजबूत करने का प्रयत्न करेंगे। इसका उदहारण हमने कोविड महामारी के दौरान भी देखा, जब भारतीय फार्मा उद्योग की क्षमता के कारण हम 150 से अधिक देशों को आवश्यक दवाइयां भेज पाए। हमारी वैक्सीन उत्पादन और डिलीवरी क्षमता भी इस तरह मानवता के हित में काम आएगी।

पीएम मोदी ने कहा, हमने `आत्मनिर्भर भारत` अभियान के तहत एक व्यापक reform process शुरू किया है। यह campaign इस विश्वास पर आधारित है कि एक self-reliant और resilient भारत पोस्‍ट कोविड वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए force multiplier हो सकता है और global value chains में एक मजबूत योगदान दे सकता है। उन्होंने कहा आतंकवाद आज विश्व के सामने सबसे बड़ी समस्या है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि आतंकवादियों को समर्थन और सहायता देने वाले देशों को भी दोषी ठहराया जाए, और इस समस्या का संगठित तरीके से मुकाबला किया जाए।

इसके पहले 10 नवंबर को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की वर्चुअल शिखर बैठक में भी मोदी और जिनपिंग उपस्थित थे और 21 व 22 नवंबर को समूह-20 की बैठक में भी दोनों वर्चुअल मंच साझा करेंगे। हालांकि इन नेताओं के बीच एलएसी पर चल रहे सैन्य तनाव के मद्देनजर किसी विमर्श की गुंजाइश नहीं है।

उल्लेखनीय तथ्य है कि ब्रिक्स की अगले वर्ष की शिखर बैठक भारत में ही होगी। अगर तब तक कोविड का असर खत्म हो गया तो अन्य देशों के राष्ट्रपतियों के साथ ही चीन के राष्ट्रपति के भारत आने की भी उम्मीद की जा सकती है। बतौर पीएम मोदी की अभी तक सबसे द्विपक्षीय मुलाकात शिनफिंग से ही हुई है। इनके बीच अंतिम मुलाकात नवंबर, 2019 में चेन्नई के ममल्लापुरम में हुई थी। मई, 2020 में चीनी सेना के भारतीय सीमा में घुसपैठ के बाद दोनो देशों के रिश्ते बेहद तनावग्रस्त हैं। इस बीच दोनों देशों के रक्षा व विदेश मंत्रियों की एक-एक बार द्विपक्षीय मुलाकात हुई है लेकिन शिखर स्तर पर ना तो कोई वार्ता हुई है और ना ही किसी तरह के संदेश का आदान-प्रदान हुआ है।

वर्ष 2018 में दोनो नेताओं ने वुहान (चीन) से अनौपचारिक वार्ता का जो सिलसिला शुरु किया था उसको लेकर भी अब कोई चर्चा नहीं है।विदेश मंत्रालय की तरफ से मंगलवार को होने वाली वुहान बैठक को लेकर यह बताया गया है कि इसमें आतंकवाद, कारोबार के साथ ही कोविड से उत्पन्न स्थिति और इन मुद्दों पर आपसी सहयोग बढ़ाने के एजेंडे पर विमर्श होगा। वैश्विक बहुराष्ट्रीय मंचों में सुधार का एजेंडा भी अहम होगा। भारत लगातार इस मुद्दे पर सबसे ज्यादा जोर देता रहा है। इस बैठक के बाद ब्रिक्स की अध्यक्षता एक वर्ष के लिए भारत को सौंप दी जाएगी। भारत तीसरी बार ब्रिक्स समूह की अध्यक्षता करेगा। वर्ष 2016 में ब्रिक्स शिखर बैठक गोवा में आयोजित की गई थी।

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