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खेल के मैदान में सीखते हैं जीत को पचाने व हार से सीखने की कला : प्रधानमंत्री

नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को जीवन और खेल के बीच समानताएं बताते हुए कहा कि जीत को पचाने का हुनर और हार से सीखना एक महत्वपूर्ण कला है, जिसे हम खेल के मैदान में सीखते हैं।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के उद्घाटन अवसर पर अपना संदेश साझा किया। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आज बेंगलुरु में खेलों की शुरुआत की घोषणा की। इस अवसर पर कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गहलोत, गृह मंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमन, केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर, युवा मामले और खेल मंत्रालय के राज्य मंत्री निसिथ प्रमाणिक उपस्थित थे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि बेंगलुरु देश के युवा उत्साह का प्रतीक है और पेशेवरों का गौरव है। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि यहां स्टार्ट-अप और खेल का संगम हो रहा है। उन्होंने कहा, बेंगलुरु में खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के आयोजन से इस खूबसूरत शहर की ऊर्जा में इजाफा होगा। महामारी की चुनौतियों के बीच खेलों के आयोजन पर प्रधानमंत्री ने आयोजकों के संकल्प को सलाम किया, जो दृढ़ संकल्प और जुनून का प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह युवा जुनून भारत को हर क्षेत्र में नई गति के साथ चला रहा है।प्रधानमंत्री ने सफलता के पहले मंत्र के रूप में टीम भावना के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “यह टीम भावना हमें खेलों से सीखने को मिलती है। आप इसे सीधे खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में अनुभव करेंगे। यह टीम भावना हमें जीवन को देखने का एक नया नजरिया भी देती है।”

आगे उन्होंने कहा कि समग्र दृष्टिकोण और शत-प्रतिशत समर्पण खेल में सफलता की प्रमुख आवश्यकताएं हैं। खेल के मैदान से मिली ताकत और सीख भी जीवन में आगे ले जाती है। मोदी ने जोर दिया, खेल, वास्तविक अर्थों में जीवन की वास्तविक समर्थन प्रणाली है।प्रधानमंत्री ने विभिन्न पहलुओं जैसे जज्बे, जोश, जुनून, चुनौतियों, हार से सीख और पल में जीने की क्षमता के संबंध में खेल और जीवन के बीच समानताएं भी बताईं। उन्होंने कहा, जीत को पचाने का हुनर और हार से सीखना एक महत्वपूर्ण कला है, जिसे हम खेल के मैदान में सीखते हैं।प्रधानमंत्री ने एथलीटों से कहा कि वे नए भारत के युवा हैं और एक भारत श्रेष्ठ भारत के ध्वज-वाहक भी हैं। युवा सोच और दृष्टिकोण आज देश की नीतियों को आकार दे रहा है। आगे उन्होंने कहा कि आज के युवाओं ने फिटनेस को देश की प्रगति का मंत्र बना लिया है। कई पहल खेलों को पुरानी सोच के बंधन से मुक्त कर रही हैं।

उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में खेलों पर जोर, खेलों के लिए आधुनिक बुनियादी ढांचा, पारदर्शी चयन प्रक्रिया या खेलों में आधुनिक तकनीक का बढ़ता उपयोग जैसे उपाय तेजी से नए भारत की पहचान बन रहे हैं। यह युवाओं की उम्मीदें, आकांक्षाएं और नए भारत के फैसलों की नींव है।आगे प्रधानमंत्री ने कहा, “अब देश में नए खेल विज्ञान केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं। समर्पित खेल विश्वविद्यालय बन रहे हैं। यह आपकी सुविधा के लिए है और आपके सपनों को पूरा करने के लिए है।”प्रधानमंत्री ने देश की शक्ति और खेल की शक्ति के बीच की कड़ी को दोहराते हुए कहा कि खेल की शक्ति देश की शक्ति को बढ़ाती है। उन्होंने टोक्यो ओलंपिक दल के साथ अपनी मुलाकात को याद किया और एथलीटों के चेहरों पर देश के लिए कुछ करने की चमक और संतुष्टि का भी स्मरण किया। प्रधानमंत्री ने खिलाड़ियों से खेलों में भाग लेकर देश के लिए खेलने का आह्वान किया।(हि.स.)

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