दलित महिला को जातिसूचक शब्दो का प्रयोग पर दो वर्ष के कारावास व साढ़े 6 हजार रुपए जुर्माना
वाराणसी। विशेष न्यायाधीश (एससी/एसटी एक्ट) प्रदीप कुमार सिंह की अदालत ने दलित महिला को जातिसूचक शब्दो का प्रयोग करते हुए घर में घुसकर मारने-पीटने के मामले अभियुक्त गुलाब चौहान व शमशेर उर्फ फुंदर को दोषी पाने पर दो वर्ष के कारावास व साढ़े 6 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। अदालत में अभियोजन अधिकारी एसपीओ बृजेश कुमार मिश्रा व सहयोगी शशिभूषण पाण्डेय ने पक्ष रखा। आरोप है कि चोलपुर के कपसा गांव की नट रीना देवी 19 नवंबर 2007 को घर में अपने पति के साथ खाना खा रही थी। उसी दौरान गांव के ही गुलाब, चंदन, पिताम्बर, सूरज व शमशेर उर्फ फुंदर उसके घर पहंचे और घर के बाहर लगे नीम, बांस व बेर के पेड़ को काटने लगे। विरोध करने पर वह लोग जातिसूचक शब्दो का प्रयोग करते हुए घर मे घुस आए और मारपीटकर गंभीर रूप से घायल कर दिया। इस मामले में थाने पर तहरीर देने के बाद भी जब कोई करवाई न हुई तो पीड़िता ने अदालत की शरण ली। अदालत के आदेश पर चार अप्रैल 2008 को चोलापुर थाने में गुलाब, चंदन, पिताम्बर, सूरज व शमशेर उर्फ फुंदर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। अदालत में मुकदमे के विचारण के दौरान पिताम्बर व सूरज की मौत हो गयी, जबकि चंदन के किशोर अपचारी होने के चलते उसकी पत्रावली अलग कर दी गयी।